लुधियाना: लुधियाना की पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने पंजाब के कई भागों में धान के पौधों में वृद्धि रुक जाने के लिए ‘साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस’ (SRBSDV) को जिम्मेदार पाया है। एक्सपर्ट्स का दावा है कि पंजाब में पहली बार SRBSDV के प्रकोप का पता चला है। सबसे पहले इसके मामले वर्ष 2001 चीन के दक्षिण भाग में देखने को मिले थे। इससे फसलें बहुत प्रभावित हुई थी।
लुधियाना मौजूद पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सतबीर सिंह गोसाल ने कहा कि धान के पौधों के छोटे रह जाने का असली कारण SRBSDV है। प्रदेश के श्री फतेहगढ़ साहिब, पटियाला, होशियारपुर, लुधियाना, पठानकोट, एसएएस नगर एवं गुरदासपुर जिलों से शिकायत प्राप्त हुई थी कि धान के पौधे नहीं बढ़ रहे हैं। तत्पश्चात, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्रभावित जिलों का दौराकर संमित पौधों के सैंपल लिए तथा उनकी जांच की। टीम ने पाया कि 15-25 जून के चलते रोपी गई फसल सबसे अधिक प्रभावित थी।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, संक्रमित पौधे बहुत छोटे थे। उनकी पत्तियां पतली एवं सीधी थीं। पौधों की जड़ें एवं तने दोनों बुरी तरह से प्रभावित थे। अविकसित पौधों की ऊंचाई में सामान्य पौधों के मुकाबले में एक तिहाई से आधे तक कमी देखने को मिली। पौधों की जड़ें खोखली थीं और इन्हें सरलता से उखाड़ा जा सकता था। खेतों में लगभग धान की सभी किस्मों में इस प्रकार की दिक्कतें नजर आई। SRBSDV वायरस धान के उन खेतों में ज्यादा देखा गया, जहां रोपाई 25 जून से पहले हुई थी। टीम ने देखा कि जल्दी बोई गई धान की फसल में इसका प्रकोप ज्यादा था, चाहे वह किसी भी किस्म का हो। पीएयू के एक्सपर्ट्स के अनुसार, 15-25 जून में रोपी गई धान की फसल बाद की दिनांकों के मुकाबले में ज्यादा प्रभावित हुई थी।
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