बाल दिवस: भारत में बच्चे कब होंगे सुरक्षित
बाल दिवस: भारत में बच्चे कब होंगे सुरक्षित
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आज बाल दिवस के अवसर पर यह यक्ष प्रश्न हम सभी के सामने खड़ा है कि क्या आज देश में बच्चे सुरक्षित हैं? रोजाना ही देश के किसी न किसी कोने से बच्चों की सिसकियाँ सुनाई देती है जो उसके खिलाफ हो रहे गंभीर अपराध की गूँज होती है. क्योंकि बच्चे आसान शिकार होते हैं, इसलिए दरिंदें इन नन्हीं कलियों को आसानी से मसल देते हैं. पर इस दर्द का दंश बच्चे जीवन भर सहते हैं.

नेशनल क्राइम ब्यूरो रिकॉर्ड के मुताबिक, देश में हर रोज 290 बच्चों के साथ ट्रैफिकिंग, जबरन मजदूरी, बाल विवाह, किडनैपिंग, यौन शोषण, मर्डर जैसी गंभीर घटनाएं होती हैं. 2014 में बच्चों के साथ हुए अपराध के कुल 89,423 मामले दर्ज हुए थे, 2015 में ये नबंर 94,172 तक पहुंच गया और 2016 में इस आंकड़े ने 1 लाख का आंकड़ा पार कर लिया. इनमें भी POCSO कानून के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या 8904 से बढ़कर 35980 तक पहुंची है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है कि ये दुखद है लेकिन सच है. हम लोग पिछले 8 दिनों से सत्याग्रह कर रहे हैं. हमारी केंद्र और राज्य सरकारों से अपील है कि वह 6 महीने के अंदर ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून लाएं और मौत की सज़ा का प्रावधान तैयार करें. ताकि देश के भविष्य को दरिंदों के नाखूनों से बचाया जा सके.

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