राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल्द से जल्द बनाया जाएगा चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन
राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल्द से जल्द बनाया जाएगा चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन
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इंडियन गवर्नमेंट इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को प्रोत्साहन देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने वाली है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कई बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन विकसित करने के लिए एक विस्तृत योजना को तैयार करने पर कार्य किया जा रहा है। जिसके लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा लगभग 700 साइटों की पहचान भी की जा चुकी है। ये सभी स्थान स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग, पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर भी है। इन सभी स्थानों पर कई प्रकार के चार्जिंग पॉइंट और बैटरी स्वैपिंग जैसे सुविधाओं वाले वे-साइड सेंटर्स को विकसित किया जा चुका है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की यह योजना है कि चार्जिंग सेंटरों के निर्माण के कॉन्ट्रैक्ट में बैटरी स्वैपिंग स्टेशन भी दिया जा रहा है। मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमाने का बोलना है कि, “गवर्नमेंट ने राष्ट्रीय स्तर पर चार्जिंग के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए तैयारी कर ली है और EV इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने के लिए नए बनने वाले और मौजूदा हाईवेज पर 700 ऐसे स्पॉट्स की पहचान भी की जा रही है जहां बुनियादी ढांचे में शामिल चार्जिंग पॉइंट और बैटरी स्वैपिंग दोनों ही सुविधाएं शामिल होने वाली है।”

नीति आयोग द्वारा जारी की गई है ड्राफ्ट पॉलिसी: यह अनुमान लगाया जा रहा है कि गवर्नमेंट  द्वारा जल्द ही बैटरी स्वैपिंग नीति को मंजूरी भी मिल चुकी है, जिससे मौजूदा ईवी वाहन उपयोगकर्ताओं को अपने वाहनों की डिस्चार्ज बैटरी को रिचार्ज करने के लिए घंटों इंतजार करने की झंझट से छुटकारा भी मिलने वाला है। स्वैपिंग स्टेशनों पर वाहन चालक अपने वाहन की डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज बैटरी यूनिट से बदल जाएंगे, जिससे चार्जिंग में लगने वाले वक़्त की बचत होने वाली है। इस परेशानी को देखते हुए NITI Aayog द्वारा बैटरी स्वैपिंग के लिए एक ड्राफ्ट पॉलिसी भी जारी की जा चुकी है जिसे गवर्नमेंट से मंजूरी मिलने का इंतजार है।

बढ़ेगी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की संख्या: विशेषज्ञों  का कहना है कि बैटरी स्वैपिंग इंन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी को मंजूरी मिलने के उपरांत इंडिया में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की मांग तेजी से वृद्धि की है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी ही इन वाहनों की अपेक्षाकृत कम बिक्री का प्रमुख कारण है। ईवी सेगमेंट के लिए बैटरी स्वैपिंग के इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण को एक बड़े विकास के रूप में देखा भी देखने के लिए मिल रहा है, क्योंकि इससे ईवी सेगमेंट के दोपहिया और तिपहिया वाहनों की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी जो इस बाजार के आकार को बढ़ाने में मददगार साबित होने वाली है।

चार्जिंग बुनियादी ढांचे में होगा सुधार: 2070 तक इंडिया द्वारा शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन संकल्प भी ले लिया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सड़कों पर EV की संख्या को बढ़ाने पर जोर देना होगा जिसके लिए ग्रीन हाईवे का निर्माण इंडिया में लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में सहायता करने वाली है। अपनी पहचान को छिपाते हुए एक सरकारी अधिकारी ने कहा है, कि - “जैसे-जैसे अधिक संख्या में शहरों में चार्जिंग के बुनियादी ढांचे में सुधार होने वाला है, सरकार राजमार्गों पर मोबिलिटी EV वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने वाली है। ईवी चार्जिंग सपोर्ट स्टेशनों के लिए केवल शुरुआती चरण में 700 स्पॉट्स का चुनाव किया गया है। धीरे धीरे सरकार की योजना राजमार्गों के साथ हर 10-20 किमी पर चार्जिंग की सुविधा देने की है।"

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