फिल्म निर्देशक: जयंत गिलातर.
कलाकार: शबाना आजमी, जूही चावला, दिव्या दत्ता, गिरीश कर्नाड, रिचा चड्ढा, उपासना सिंह
‘चाक एंड डस्टर’ फिल्म का मकसद भारत की शिक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करना था. लेकिन इस के बावजूद यह कुछ ख़ास और अलग नहीं कर पाई. इस फिल्म के जरिए निर्देशक जयंत गिलातर ने छात्रों के नजरिए से शिक्षकों कि दुनियां को खंगोलने का प्रयास किया हैं. लेकिन इतना अच्छा और अलग सब्जेक्ट होने के बावजूद फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने में असफल रही.
फिल्म की पटकथा:
फिल्म में विद्या सावंत (शबाना आजमी) और ज्योति (जूही चावला) लंदन से MBA आर्या बब्बर के स्कूल में गणित और विज्ञान की टीचर्स हैं. आर्या बब्बर को स्कूल की सुपरवाइज़र दिव्या दत्ता फसा के खुद को स्कूल की प्रिंसिपल बना लेती हैं. अपनी पोजीशन का फायदा उठाकर दिव्या स्कूल के स्टेटस को ग्लैमराइज़ करने में लग जाती हैं. इसके अंतर्गत वह स्कूल को टीचर्स को प्रताड़ित भी करती हैं. वह सबसे पहले निशाना बनाती है उम्रदराज टीचर्स को, इस उम्मींद के साथ कि वो उनके सिस्टम से परेशान होकर खुद ही स्कूल को छोड़कर चली जाएं.
जयंत गिलातर की ‘चाक एंड डस्टर’ अपनी पटकथा के फ्लो से भटक कर काफी उपदेशात्मक हो जाती है. यह सवाल तो उठाती है लेकिन उन्हें हल किए बिना ही भाग जाती है. फिल्म में शबाना आजमी, जूही चावला, गिरीश कर्नाड, दिव्या दत्ता और रिचा चड्ढा जैसी शख्सियतों के होने के बावजूद यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाती हैं.
अंत में हम फिल्म के बारे में बस इतना ही कहेंगे कि यह एक अच्छी कोशिश थी शिक्षकों की दुनियां में झाकने की लेकिन यह एक सफल कोशिश भी नहीं थी. फिल्म देखते समय यह बीच बीच में कई बार आपको बोर कर देती हैं. यदि आपको और कुछ काम नहीं हों तो जा कर फलन देख सकते हैं वरना नहीं भी देखेंगे तो आप कुछ ख़ास मिस नहीं करेंगे.
फिल्म स्टार: 2 स्टार्स