नवरात्र में जरूर करें दुर्गा सप्तशती पाठ, जानिए फायदे
नवरात्र में जरूर करें दुर्गा सप्तशती पाठ, जानिए फायदे
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हर साल में 4 बार आने वाले नवरात्रि के पर्व का सभी को इंतज़ार रहता है. ऐसे में यह पर्व इस बार 25 मार्च यानी बुधवार से शुरू होने वाला है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जो बेहतरीन होती है. इसी के आपको यह भी बता दें कि माँ श्रीदुर्गा एकाकार हैं, एक ही हैं, अलग-अलग नहीं. वहीं माँ ने स्वयं अपने मुख से कहा है कि, 'एकै वाहं जगत्यत्र द्वितीया का ममापरा. अर्थात इस संसार में एक मैं ही हूँ, दूसरी और कोई नहीं. सभी चराचर जगत जड़-चेतन, दृश्य-अदृश्य रूपों में मैं ही हूँ. मत्तः प्रकृति पुरुषात्मकमजगत.'

उन्होंने कहा है, 'प्रकृति और पुरुष मेरे द्वारा ही उत्पन्न हुए हैं. उन परब्रह्म परमेश्वर की एक ही माया है, जो कार्य भेद से चार अलग-अलग रूपों में विराजती हैं. यही माया सृष्टि सृजन (उत्त्पति) के अर्थ में भवानी, महादैत्यों-असुरों से युद्ध करते समय दुर्गा, अपने कोप से अखिल ब्रह्माण्ड को कम्पित करने वाली महाक्रोध के समय काली और सृष्टि के प्राणियों के पालन एवं रक्षा करने के समय पुरुष रूप में 'विष्णु' बन जाती हैं.' उनके अनुसार 'एकैव माया परमेश्वरस्य स्वकार्यभेदा भवती चतुर्धा. भोगे भवानी, समरे च दुर्गा, क्रोधे च काली, पुरुषे च विष्णुः..' तो आइए आज हम आपको बताते हैं नवरात्रि में दुर्गा पूजन अथवा सप्तशती का पाठ करने या सुनने से क्या फायदे होते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

* कहा जाता है जो लोग सबकुछ होते हुए भी परिवार में तनाव और कलह से परेशान हैं, जो हमेशा शत्रुओं से दबे रहते हैं, मुकदमो में हार का भय सताता रहता है या जो प्रेत आत्माओं से परेशान रहते हैं उन्हें दुर्गासप्तशती के 'प्रथम चरित्र' का पाठ करना या सुनना चाहिए.

* कहते हैं बेरोजगारी की मार से परेशान, कर्ज में आकंठ डूबे हुए, जिनके चारों और अन्धकार ही दिखाई दे रहा हो, जो श्री हीन हो चुके हों, जिनका कार्य व्यापार बंद हो चुका हो, जिनके जीवन में स्थिरता नहीं हो, जिनका स्वास्थ्य साथ न दे रहा हो, घर की अशांति से परिवार बिखर रहा हो उन्हें माँ महालक्ष्मी की आराधना और मध्यम चरित्र का पाठ करना या सुनना चाहिए.

* कहते हैं जिनकी बुद्धि मंद पड़ गयी हो, पढाई में मन न लग रहा हो, स्मरणशक्ति कमजोर हो रही हो, सन्निपात की बीमारी से ग्रसित हों, जो शिक्षा-प्रतियोगिता में असफल रहते हों, जो विद्यार्थी ज्यादा पढ़ाई करते हो और नंबर कम आता हो अथवा जिनको ब्रह्मज्ञान और तत्व की प्राप्ति करनी हो उन्हें माता सरस्वती की आराधना और 'उतम चरित्र' का पाठ करना जरुरी है.

* कहते हैं सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का दशांग या षडांग पाठ संसार के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला है और सप्तशती के पाठ-श्रवण से प्राणी सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है.

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