मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल जिनके बारे में हमे कुछ महीनों ही सुनने में आया था की पूर्व में विवादों में चल रहे सेंसर बोर्ड में केंद्र सरकार ने श्याम बेनेगल के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था जिसका मकसद कलात्मक स्वतंत्रता को बचाना है। तथा अब सुनने में आया है कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सिनेमैटोग्राफी कानून में बड़े बदलाव कर शीतकालीन सत्र में बिल लाने तैयारी कर रहा है। मंत्रालय के सूत्रों की माने तो इससे सेंसर बोर्ड से फिल्मों के दृश्यों में काट-छांट का अधिकार छिन जाएगा।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सेंसर बोर्ड के पास सिर्फ अलग-अलग तरह के सर्टिफिकेट देने का अधिकार रह जाएगा। माना जा रहा है कि सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी के अधीन फिल्मों पर कैंची चलाने को लेकर हुए हालिया विवादों के बाद यह फैसला लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि फिल्मों के प्रमाणन की प्रक्रिया में बदलाव होगा। इसके लिए दो समितियां होंगी, इसमें एक समीक्षा और दूसरी निगरानी का काम करेगी।
दोनों समितियों में राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ मनोवैज्ञानिक भी सदस्य होंगे। फिल्मों को यू12 प्लस, यू15 प्लस, ए और ए प्लस सर्टिफिकेट दिए जा सकेंगे। निगरानी समिति एक दिन में दो से ज्यादा फिल्मों को मंजूरी नहीं देगी। हालांकि निर्माताओं के लिए अतिरिक्त भुगतान पर एक तत्काल श्रेणी भी होगी।