मुसलमानों को रिझाने की बारी, भाजपा ने की बड़ी तैयारी
मुसलमानों को रिझाने की बारी, भाजपा ने की बड़ी तैयारी
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नई दिल्ली: भाजपा अपने समर्थन का दायरा बढ़ाने की कवायद में अब पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने की तैयारियों में लग गई है। भाजपा की अल्पसंख्यक इकाई ने मुस्लिमों में सबसे पिछड़े तबके, पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने का रोडमैप तैयार कर लिया है। दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को हिंदुओं के अलावा अन्य धर्मों के कमजोर वर्गों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया था, जिसमें उन्होंने खास तौर पर पसमांदा मुसलमानों का नाम लिया था।

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे की तरफ से हरियाणा में 25 जुलाई से प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभन्न राज्यों में पसमांदा मुस्लिमों तक पहुंच को लेकर योजना बनाई जाएगी। लगभग 180 पदाधिकारी और मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य इस इवेंट में हिस्सा लेंगे, जहां राष्ट्रीय संगठन सचिव बीएल संतोष भी उपस्थित रहेंगे। प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न माड्यूल्स की जानकारी दी जाएगी। इसमें भाजपा का इतिहास और विचारधारा, राष्ट्रवाद पर लेखन, पार्टी का डेवलपमेंट फोकस, भारत में अल्पसंख्यकों का इतिहास, रोल मॉडल, अल्पसंख्यकों के समक्ष मौजूदा चुनौतियां, मामलों को उजागर करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग और इन समुदायों में महिलाओं का सशक्तिकरण जैसे मुद्दे शामिल हैं।

राज्यों में आंतरिक संगठनात्मक समुदायों का गठन किया जाएगा। खास तौर से वहां पर जहां भाजपा की सरकार है। इसके माध्यम से इस समुदाय की समस्याओं को जानने की कोशिश की जाएगी और समाधान खोजा जाएगा। इसके साथ ही सराकारी कमेटियों में पसमांदा मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर फोकस रहेगा। एक भाजपा कार्यकर्ता ने बताया कि यह कोशिश होगी कि अधिक पसमांदा लोगों को पार्टी से जोड़ा जाए और अपनी पहुंच बढ़ाई जाए।  

मुस्लिम आबादी का 70 फीसद से ज्यादा हैं पसमांदा:-

बता दें कि पसमांदा कुल मुस्लिम आबादी का 70 फीसद से ज्यादा हैं और भाजपा का लक्ष्य विभिन्न राज्यों के चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के दौरान उन तक पहुंचना है। विभिन्न दलों में मुस्लिम नेता अशराफ में से आते हैं, जिनमें सैयद, मुगल और पठान ( मुस्लिमों की उच्च जातियां) शामिल हैं। वहीं, पसमांदा मुस्लिमों में मलिक (तेली), मोमिन अंसार (बुनकर), कुरैशी (कसाई), मंसूरी (रजाई और गद्दे बनाने वाले), इदरीसी (दर्जी), सैफी (लोहार), सलमानी (नाई) और हवारी (धोबी) शामिल हैं। 

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