वरूण ने किया याकूब की फांसी की सज़ा का विरोध
वरूण ने किया याकूब की फांसी की सज़ा का विरोध
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नई दिल्ली : वर्ष 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सज़ा के बाद अब इस पर लंबा विचार मंथन चल रहा है। कई लोग फांसी की सज़ा के विरोध में उतरकर आए हैं। इस दौरान भाजपा सांसद वरूण गांधी ने भी फांसी की सज़ा का विरोध किया है। वरूण ने कहा है कि मौत की सज़ा करीब 75 प्रतिशत कमजोर तबके को मिलती है। ऐसे में मौत की सज़ा के लिए लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

वरूण ने अपने बयान में यह कहकर बहस की शुरूआत कर दी है कि मौत की सज़ा के अधिकांश मामलों में दलित और अल्पसंख्यक ही सज़ा पाते हैं। वरूण ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए आंकड़ों का सहारा लिया इस दौरान उन्होंने कहा कि मौत की सज़ा के मामलों में 75 प्रतिशत मामले ऐसे रहे जिनमें गरीब और कमजोर तबकों को सज़ा मिली वहीं दूसरी ओर 94 प्रतिशत मामले ऐसे थे जहां दलितों और अल्पसंख्यकों को यह सज़ा दी गई।

उन्होंने कहा कि फांसी की सज़ा ऐसा नुस्खा नहीं है जिससे अपराध कम हों। बल्कि इस सज़ा के कई विकल्प हैं। अपराधी को लंबे समय तक पैरोल के बिना सज़ा दिया जाना भी एक विकल्प है। 

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