B'Day : 13 साल की उम्र में भूपेन ने लिखा था पहला गाना, इस गाने से हुए प्रसिद्द
B'Day : 13 साल की उम्र में भूपेन ने लिखा था पहला गाना, इस गाने से हुए प्रसिद्द
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बॉलीवुड के बेहतरीन प्लेबैक सिंगर भूपेन हज़ारिका असम में जन्मे थे और इनके देशभर में करोड़ों फैन हैं. भले ही साल 2011 में उनकी मृत्यु हो गई हो, लेकिन उनके गानें आज भी फैंस के दिलों में जिंदा हैं. उनके गाने उनके फैंस को याद रहते हैं और उन्ही के ज़रिये फैंस के दिलों में मौजूद भी हैं. बता दें,  भूपने हजारिका का जन्म 8 सिंतबर 1926 को हुआ था. आज इस खास दिन पर बताने जा रहे हैं खास बातें. 

असम के रहने वाले हजारिका दस भाई बहन थे और वह सबसे बड़े थे. बचपन से ही हजारिका को गाने का शौक था और 10 साल की उम्र से ही उन्होंने गाना शुरु कर दिया था. साल 1936 में भूपेन हजारिका ने कोलकता में अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था. तभी से हजारिका जी के करियर की शुरुआत हो गई थी. 

13 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला गाना लिखा था. यहीं से उनके सिंगर, कंपोजर और लिरिसिस्ट बनने का सफर शुरू हो गया. बता दें, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद हाजरिका ने ऑल इंडिया रेडियो में गाना शुरू किया. इसके साथ ही वह बंगाली गानों को हिंदी में ट्रांसलेट कर उन्हें अपनी आवाज देते थे. 

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के दौरे पर गए हजारिका की मुलाकात प्रियम्वदा पटेल से हुई. दोनों में प्यार की शुरुआत हुई और 1950 में यूएस में ही दोनों ने शादी कर ली. लेकिन दोनों ज्यादा समय साथ नहीं रहे. पैसों की तंगी के कारण उनकी पत्नी प्रियम्वदा ने उन्हें छोड़ दिया और हजारिका ने म्यूजिक को ही अपना साथी बना लिया. इसके बाद वो कितने फेमस हुए ये आप जानते ही हैं. 

इन गानों से हुए फेमस
हजारिका ने 1993 में एक फिल्म 'रूदाली' में एक गाना गाया था जिससे उन्हें सफलता मिली. फिल्म के 'दिल हूम-हूम करें, घबराए' गाने में  लता जी की आवाज और हजारिका जी का संगीत था. उनके संगीत के लिए उन्हें कई अवॉर्ड भी मिले हैं. 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उनके यादगार गानों में 'दिल हूम हूम करें' और 'जूठी मूठी मितवा' शामिल है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई को असम में देश के सबसे बड़े ढोला-सदिया पुल का उद्घाटन किया और उसे नाम दिया, भूपेन हजारिका पुल. मशहूर लोकगायक भूपेन हजारिका पूरी जिंदगी ब्रह्मपुत्र नदी का गुणगान करते रहे. इसलिए आने वाली पीढ़ियों को उनके योगदान के बारे में याद दिलाते रहने के लिए पुल उनके नाम पर रखा गया.  

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