मांदल की थाप के साथ झलका आदिवासी प्रेम
मांदल की थाप के साथ झलका आदिवासी प्रेम
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झाबुआ : एक बार फिर मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में परंपरागततौर पर लगाया गया मेला झाबुआ के अंचल में प्रारंभ हो गया है। दरअसल यह ऐसा मेला है जो आदिवासी युवक और युवतियों के लिए बहुत महत्व रखता है। यह मेला जहां परंपरा का प्रतीक है वहीं प्रेम से सराबोर इस मेले में छककर महुए की शराब का सेवन होता है। इस मेले में मांदल की थाप पर आदिवासी नृत्य और गीत की झलक दिखाई देती है तो वहीं पान खिलाकर युवक-युवतियों को रिझाते हैं।

युवतियों को रिझाने के लिए युवकों द्वारा जहां परंपरागत तरीके अपनाए जाते हैं, वहीं युवक पेंट और शर्ट पहनकर आंखों पर काला चश्मा लगाते हैं। इस मेले के लिए युवतियों ने साडि़यां पहनकर जमकर नृत्य किया। युवतियों ने अपने हाथों में टैटू भी गुदवाए जो कि बड़े आकर्षक लग रहे थे।

यह मेला झाबुआ के समीप स्थित ढेकल गांव में भी लगा जहां पारंपरिक परिधानों में लकदक आदिवासी युवक-युवतियों ने झूले-चकरी का आनंद लिया। मदरानी के भगोरिया हाट में गुजरात और राजस्थान की संस्कृति की झलक भी दिखाई दी। यही नहीं झूले और चकरी पर भी युवक-युवतियां साथ झूलते हुए नज़र आए।

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