उत्साह एवं उमंग का पर्व भगौरिया, 18 मार्च से मांदल की थाप पर थिरकेंगे वनवासी
उत्साह एवं उमंग का पर्व भगौरिया, 18 मार्च से मांदल की थाप पर थिरकेंगे वनवासी
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झाबुआ से दिलीप सिंह

झाबुआ। भगौरिया आदिवासी जन जीवन का एक जीता जागता स्वरूप है, जिसमें आदिवासी जन जीवन की अल्हडता, मादकता, सौंदर्यता, नृत्य कला, संगीत, सजीव जीवटता सभी कुछ एक साथ एक जगह देखने को मिलता है। इसी का नाम है उत्साह एवं उमंग का त्यौहार भगौरिया।

भगोरिया मतलब भौंगर्या, आदिवासीयों का प्रणय पर्व, फसल पकने का त्यौहार, रंगों का त्यौहार ! भगौरिया हाट बाजार मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ, आलिराजपुर, धार जिलों सहित निमाड के बडवानी, खरगौन, खंडवा एवं महाराष्ट्र के अमरावती जिले में भी मनाया जाता है। भगौरिया हाट की बांट आदिवासी समुदाय साल भर देखता रहता है, उसे अपने इस खास पंसदीदा त्यौहार को लेकर साल भर उत्सुकता बनी रहती है इसके लिये वो काम की तलाश में देश भर में कहीं भी गया हो भगौरिया के लिये अपने गांव में जरूर लौट आता है जैसे एक पक्षी शाम ढलते ही अपने घौंसलों में लौट आता है। भगौरिया हाट में काम की तलाश में बहार गये आदिवासी जन जब अपने गांव, फलिये में लौटते है तो इन ग्रामीण क्षेत्रों के फलियों, मजरो, टोलों की रौनक बढ जाती है। टापरी-टापरी खुब चहल पहल होती है रौनक आ जाती है आदिवासी जन अपने घर आंगन में ढोल की थाप पर खूब नाचते और खाते पीते है।

भगौरिया हाट बाजार होली के एक सप्ताह पूर्व भरने वाले साप्ताहिक हाट बाजार ही होते है लेकिन उनकी रौनक आम हाट बाजारों से कई ज्यादा खास होती है। भगौरिया हाट में जाने के लिये बडे, बूढे, बच्चे, युवा, युवलियां, महिलाएं हर कोई लालायीत रहता है। एक महिने पहले से ही आदिवासी जन जीवन भगौरिया की तैयारियों में जुट जाता है, आदिवासी बालाऐं नये परिधान सिलवाती है, श्रृंगार करती है तो युवा आदिवासी बंसी की धुन छेडता है, आदिवासी जन ढोल मांदल कसने लग जाते है। चहूं और उत्साह एवं उमंग का वातावरण रहता है, खेतों में गेहूं और चने की फसलें पकने को होती है, वातावरण में टेसू, महुआ, ताडी की मादकता अपना रस घौले रहती है तो सरसों के पिले फूल चहूं और खुशियां बिखेरे दिखाई देते है। ऐसे मनोरम और रमणीक वातावरण में भगौरिया की मस्ती मद मस्त कर देती है।

भगौरिया हाट बाजारों में आदिवासीयों की टोलियां ढोल, मांदल की थाप पर नाचते-गाते और थीरकते हुए आती है। युवतियां अपने फलिये व गांव के मान से एक जैसे परिधान पहनकर आती है तो युवाजन बंसी की धुन छेडता आता है वहीं आदिवासी जन ढोल बजाते हुए इन हाट बाजारों में घुंघरूओं की रूनझून के साथ नाचते गाते आते है। भगौरिया हाट में झूले, चकरी में झूलने का आंनद और रंग बिरंगे शरबत, पान मसाले और बर्फ के गोले खाने का आंनद भी खूब आता है। युवक-युवतियां एक दूसरे के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने के लिये पान भी खिलाते है। तो कोई गालों पर रंग गुलाल लगा कर प्रेम का इजहार करते है।

भगौरिया हाट बाजारों की लोकप्रियता प्रदेश व देश भर के अलावा विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। इसके महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे सांस्कृतिक महत्व का मेला घोषित किया है। फलस्वरू भगौरिया हाट बाजारों में जिला प्रशासन एवं स्थानिय प्रशासन भी टेंट लगाकर छांव की व्यवस्था करते है, शरबत पिलाये जाते है, पानी की व्यवस्थाऐं की जाती है एवं सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध भी किये जाते है।

भगौरिया हाट बाजार राजनैतिक दलों के लिये भी खास महत्व रखते है राजनैतिक दल इन हाट बाजारों में पंरम्परागत ढोल मांदलों की थाप पर गैरे, अर्थात रैलियों का आयोजन करते है। जिस पार्टी के पास जितने ज्यादा ढोल उसकी उस क्षेत्र में उतनी ज्यादा पकड मजबूत मानी जाती है, इसलिये राजनैतिक पार्टीयां आदिवासी जनों के लिए खाने-पिने का इंतजाम करती है। तडवी, पटेल, सरपंचों का साफा बंधवाकर सम्मान करती है। इस बार लोकसभा चुनावों के बिच भगौरिया हाट 18 मार्च से 24 मार्च तक आ रहे है जिसके चलते इन हाट बाजारों में बहुत ज्यादा चुनावी प्रचार भी इन रेलियों के माध्यम से देखने को मिलेगा।

भगौरिया हाट बाजार जहां एक और उत्साह एवं उमंग का त्यौहार है वहीं कई मर्तबा इन हाट बाजारों में व्यवधान भी पैदा हो जाते है, जब इन भगौरिया हाट बाजारों में दो आपसी गुट रंजिश के चलते आमने सामने आ जाते है। जिसे देखते हुए पुलिस को खासे इंतजाम सुरक्षा के लिये करना पड़ते है। भगौरिया हाट बाजारों में घुलेंडी के दिन गल देवरा घुमने वाले आदिवासी मन्नत धारी भी अपनी विशेष वेश भूषा में देखने को मिलते है। गल देवरा आदिवासीयों की मन्नतों का एक त्यौहार है जो घुलेडी के दिन मनाया जाता है।

इस साल भगौरिया हाट बाजारों की शुरूआत 18 मार्च से हो रही हे जोकि 24 मार्च तक चलेगें। झाबुआ और आलिराजपुर जिले में कब कहां किस दिन भगौरिया हाट बाजार भरेगें वो इस प्रकार से है : -

18 मार्च सोमवार : आलिराजपुर, भाभरा, पेटलावद, बडा गुडा, रंभापुर, मोहनकोट और कुंदनपुर।
19 मार्च मंगलवार : बखतगढ, आंबुआ, अंधारवाड, पिटोल, खरडू बडी, थांदला, तारखेडी बरवेट। 
20 मार्च बुधवार : बरझर, खटाली, बोरी, उमरकोट, माछलिया, करवड, बोडायता, कल्याणपुरा, मदारानी, ढेकल। 
21 मार्च गुरूवार : फुलमाल, सोंडवा, जोबट, पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई, चैनपुरा। 
22 मार्च शुक्रवार : वालपुर, कठिवाडा, उदयगढ ,भगौर, बेकल्दा, मांडली, कालीदेवी।
23 मार्च शनिवार : नानपुर, उमराली, राणापुर, मेघनगर, बामनिया, झकनावदा, बलेडी।
24 मार्च रविवार : छकतला, कुलवट, सोरवा, आमखूंट, झाबुआ, झिरन, ढोलियावाड, रायपुरिया, काकनवानी और कनवाडा।

भगौरिया हाट बाजारों में खूब मस्ती, उत्साह एवं उमंग देखने को मिलेगा। अगर आपने भगौरिया हाट नहीं देखा है तो इस बार झाबुआ और आलिराजपुर अवश्य पहूंचे। मध्यप्रदेश पर्यटन निगम भी भगौरिया हाट बाजारों में पर्यटको को लेकर खास इंतजाम करता है।

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