देहरादून: उत्तराखंड के एक मंदिर में पत्थरबाजी विरोध जाहिर करने के लिए नहीं बल्कि त्योहार मनाने के लिए की जाती है। प्रति वर्ष रक्षा बंधन के त्योहार पर इस मंदिर पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं और पत्थरबाजी करते हैं। इस दौरान इस वर्ष 120 लोग घायल हुए हैं। एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक चंपावत जिले के देईदुरा में स्थित है बरही देवी का मंदिर।
देवी को खुश करने के लिए प्रति वर्ष यहां 'बगवाल' पत्थरबाजी फेस्टिवल मनाया जाता है। रक्षा बंधन के दिन श्रद्धालु देवी के मंदिर में एकत्रित होते हैं और एक-दूसरे पर पत्थर मारते हैं। बड़ी तादाद में लोग इस फेस्टिवल को देखने भी आते हैं। इस त्यौहार को बग्वाल मेला भी कहा जाता हैं। यहां पत्थर मारने का रिवाज है। लेकिन उच्च न्यायालय पत्थर मारने पर बैन लगा चुका है।
इसीलिए इस बार इस मेले में उच्च न्यायालय का आदेश मानते हुए पत्थरों की जगह लोगों ने फलों की बौछार की। फलों में नाशपाती और सेब का इस्तेमाल किया गया। लगभग 10 मिनट तक चले इस 'युद्ध' में 120 के आस पास लोग चोटिल हो गए। जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। बता दें कि इस युद्ध को देखने भी भारी संख्या में लोग आए थे।
सीबीएसई ने दिल्ली के एससी और एसटी के छात्रों को दी बड़ी राहत
रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार के नहीं दिख रहे आसार
CBSE ने बढाई छात्रों की परीक्षा फीस, अब करना होगा इतना भुगतान