नफरत के 24 बरस, हर ओर से आ रही सिसकियों की आवाज़
नफरत के 24 बरस, हर ओर से आ रही सिसकियों की आवाज़
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नई दिल्ली। देशभर में आज हिंदूवादी संगठन शौर्य दिवस मना रहे हैं तो कुछ मुस्लिम संगठन काला दिवस मनाने में लगे हैं। गौरतलब है कि आज 6 दिसंबर है और आज ही बाबरी मस्जिद विध्वंस की 24 वीं बरसी है। ऐसे में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बचे अवशेष और अयोध्या में श्री रामजन्म भूमि पर आधे 7 अधूरे तरह से बना श्री रामलला के दर्शन स्थल से रहरहकर लोगों की सिसकियां सुनाई दे रही हैं।

बाबरी मस्जिद विध्वंस आज भी भारतीय राजनीति और समाज में संवेदनशील मसला है। हालात ये रहे कि अयोध्या के विवाद ने बड़े पैमाने पर देश की राजनीति पर असर डाला है। गौरतलब है कि यहां मंदिर निर्माण की मांग हुई तो देश में नफरत की विध्वंसक आग भड़की। हर ओर सांप्रदायिक तनाव का माहौल था। मुुंबई और दिल्ली सहित कई प्रमुख नगरों में उपद्रव में 2 हजार से भी अधिक लोगों की मौत हो गई।

श्री राम मंदिर का मसला ऐसा मसला रहा जिसने हिंदू और मुस्लिम दोनों ही संप्रदायों को बढ़ावा दिया। हालात ये थे कि इस मसले ने हिंदू और मुस्लिम समुदाय को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया। गौरतलब है कि यहां पर श्री राम की जन्मस्थली होने और इसे न मानते हुए मुगल सम्राट बाबर द्वारा मस्जिद का निर्माण करवाने के बाद दोनों ही धर्मों द्वारा इस क्षेत्र पर अपने - अपने दावे किए जाते रहे हैं।

दोनों का मानना है कि इस क्षेत्र पर उनका अधिकार है दरअसल हिंदू संगठनों का दावा है कि यह स्थल भगवान श्री राम की जन्मस्थली था। मगर बाद में जब मुगलों का आगमन भारत में हुआ तो मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर 1527 में यहां पर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया।

यहां पर मीर बांकी को वायसराय के समकक्ष पद पर नियुक्ति दी गई और उसने इस क्षेत्र में 1528 में बाबरी मस्जिद बनवाई। मस्दिज बनाने के लिए यहां पर प्रतिष्ठापित मंदिर को नष्ट कर दिया गया। कुछ समय बाद हिंदूओं ने इस क्षेत्र पर दावा किया और फिर दोनों पक्षों में विवाद हुए। इस मामले में 6 दिसंबर 1992 को आंदोलन हुआ और बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहा दिया गया।

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