कराची में जन्म से लेकर राम मंदिर आंदोलन तक, बेहद रोचक रहा एलके आडवाणी का सियासी सफर
कराची में जन्म से लेकर राम मंदिर आंदोलन तक, बेहद रोचक रहा एलके आडवाणी का सियासी सफर
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नई दिल्ली: अविभाजित पाकिस्तान के कराची के सिंधी परिवार में आज ही के दिन 1927 को लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। उनके पिताजी किशनचंद आडवाणी व्यापारी थे। उनकी माता का नाम श्रीमती ज्ञानी देवी था। भारत के विभाजन होने और पाकिस्तान के रूप में एक इस्लामी देश के वजूद में आने के बाद आडवाणी का परिवार हिंदुस्तान आकर बस गया। लालकृष्ण आडवाणी वो कद्दावर चेहरा है, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की बुनियाद भी रखी, और अपने प्रयासों से ही पार्टी को ऊंचाइयों तक ले जाने में कामयाब हुए। आडवाणी ने 1941 में 14 वर्ष की छोटी सी आयु में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर अपने सियासी जीवन की शुरुआत कर दी थी। 

इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन RSS और भाजपा की स्थापना में लगा दिया। अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में आडवाणी 2002 से 2004 तक देश के 7 वें उप प्रधानमंत्री रहे। 2015 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाज़ा गया। लालकृष्ण आडवाणी ने वर्ष 1998 से 2004 तक पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में गृह मंत्री के पद पर सेवाएं दी। वहीं, वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों के नाम पर FIR दर्ज हुई थी, उनमे लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल थे। इसके बाद से भारतीय सियासत में उनका कद बढ़ता चला गया।

लालकृष्ण आडवाणी भारत के तमाम हिन्दुओं को एक धागे में पिरो देने वाले राम जन्मभूमि अभियान के शिल्पकार माने जाते हैं। क्योंकि वर्ष 1990 में आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अपनी पहली रथ यात्रा की शुरुआत की थी। इस रथ यात्रा में उनके साथ मौजूदा प्रधानमंत्री और तत्कालीन भाजपा कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। बाद में इसे राम रथ यात्रा का नाम दिया गया। हालांकि, बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को अरेस्ट कर लिया गया था। लेकिन, इस यात्रा के चलते आडवाणी का सियासी सफर और बड़ा हो गया।

एक वक़्त था, जब लालकृष्ण आडवाणी भारत के सियासी क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति के तौर पर कार्यरत थे। लालकृष्ण आडवाणी अपने शासन काल में सराहनीय कार्यों के लिए जाने गए, जिसके चलते उन्हें काफी सम्मान भी मिला। वर्ष 2013 में लालकृष्ण आडवाणी ने लगभग सभी को चौंकाते हुए अपने सभी पदों से त्यागपत्र दिया था। 8 नवंबर 2022 को लालकृष्ण आडवाणी जी आज अपना 95 वां जन्मदिन मनाया रहे हैं। अब उन्होंने पार्टी के सभी सियासी मामलों से अपने आप को अलग कर लिया है, हालाँकि मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह उनसे अब भी मार्गदर्शन और आशीर्वाद लेने जाते रहते हैं।

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