मंगल पांडे: देश का पहला क्रांतिकारी, जिसे फांसी देने से जल्लादों तक ने मना कर दिया था
मंगल पांडे: देश का पहला क्रांतिकारी, जिसे फांसी देने से जल्लादों तक ने मना कर दिया था
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नई दिल्ली: आज देश के महान सपूत और प्रथम स्वतंत्रता सेनानी होने का गौरव प्राप्त करने वाले मंगल पांडे की पुण्यतिथि है. उन्होंने इस राष्ट्र के लिए जो कुछ भी किया, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. यहां तक कि आज का युवा उसे करने में सोच भी नहीं सकता है. आज उनकी पुण्यतिथि पर हम भारत के इस महान सपूत से जुड़ी कुछ ऐसी बातें शेयर करेंगे जो हर भारतीय को जानना आवश्यक है...

- मंगल पांडे के नाम से ही अंग्रेजों में दहशत फ़ैल जाती थी. खौफ का आलम यह था कि उन्हें सजा की तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी. मंगल पांडे को 18 अप्रैल, 1857 को फांसी होनी थी, मगर पांडे के खौफ के कारण उन्हें 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई. 

- मंगल पांडे ने देशभर में जो देशभक्ती की अलख जगाई थी,  उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, बैरकपुर जेल के जल्लादों ने भी उन्हें फांसी देने से इंकार कर दिया था. 

- मंगल पांडे एक बेख़ौफ़ क्रांतिकारी थे, जब अंग्रेजों ने उन्हें कारतूस इस्तेमाल करने को कहा था, तो उन्होंने इसका इस्तेमाल से साफ़ इनकार कर दिया. तब सेना को आदेश दिया गया कि वह पांडे को गिरफ्तार कर लें. हालांकि सेना ने अंग्रेज अधिकारी के आदेश को मानने से इनकार कर दिया. 

- अंग्रेजों को फिरंगी के नाम से भी जाना जाता है. और इसे लेकर मंगल पांडे ने ही सबसे पहले नारा दिया था. उनका नारा था, 'मारो फिरंगी को'.

- 1857 की क्रांति के पहले नायक मंगल पांडे ही है.

 

 

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