गांधी की समाधि पर अन्ना कर रहे, सत्याग्रह की साधना
गांधी की समाधि पर अन्ना कर रहे, सत्याग्रह की साधना
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नईदिल्ली। दिल्ली के राजघाट पर लोकप्रिय समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा सत्याग्रह किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि, केंद्र सरकार ने अपने वायदे पूर्ण नहीं किए हैं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे और उन्हें वादे याद दिलवाए। केंद्र सरकार को लोकपाल को लेकर याद दिलाई गई लेकिन किसी तरह का जवाब नहीं मिला। अब वे अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। उन्होंने कहा कि, तीन साल बाद भी मोदी सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए, जिसकी वजह से वह दुखी हैं, ऐसा लगता है कि लोग स्वार्थी होते हैं।

राजघाट पर सत्याग्रह कर रहे अन्ना हजारे ने कहा कि, यह वादा किया गया था कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए देश में लोकपाल और राज्यो में लोकायुक्त आएगा। कालेधन को लेकर सरकार कार्य करेगी और विदेश में छुपाया गया कालाधन महज 30 दिन में ही वापस आ जाएगा। देश में जो कालाधन छुपा हुआ है वह नोटबंदी से समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि, सरकार जिस तरह के प्रयास की बात कह रही थी उसे सुनकर तो लगा था कि किसान को राहत मिलेगी। किसान आत्महत्या बंद हो जाएगी। किसान की उपज बढ़ेगी और उसे उसका वाजिब दाम मिलेगा। मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं।

महिलाओं को समुचित सुरक्षा दी जाएगी लेकिन, यह कार्य भी नहीं हुआ। लग रहा था कि देश में अच्छे दिन आऐंगे। केंद्र सरकार के 3 वर्षों के कार्यकाल के बाद भी हालात वैसे ही हैं। न तो नागरिक संहिता पर बात हुई और न ही लोकपाल नियुक्त हुआ।

उन्होंने कहा कि स्वामिनाथन कमेटी की रिपोर्ट कुछ नहीं कर पाई। किसानों को किसी तरह का लाभ नहीं मिला। हालात ये हैं कि जिस स्वाधीन भारत का सपना महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, शहीद भगत सिंह ने देखा था वह वास्तविक लोकतंत्र के लिए तरस रहा है। उन्होंने कहा कि संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने ही 28 अगस्त 2011 को लोकपाल को लेकर रेजाॅल्युशन पारित किया था। 18 दिसंबर 2014 को सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त बिल पेश किया था 27 जुलाई 2016 को फिर लोकपाल पर संसद में बात हुई लेकिन बहस नहीं हो सकी।

लोकपाल को लेकर और लोकयुक्त की धारा 44 में संशोधन किया गया मगर बात नहीं बनी। यह बिल स्थायी कमेटी के पास भेजा गया था। स्थायी कमेटी ने कुछ अच्छे सुझावों के साथ अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है लेकिन पता चलता है कि, यह बिल अकारण सात सदस्यों के मंत्रीगण के पास भेजा गया है और वह अब तक प्रतीक्षित है।

समझ में नहीं आ रहा है कि, स्थायी समिति का स्थान मंत्रीगण से उपर होते हुए भी स्थायी समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस बिल को मंत्रिगण के पास भेजने की जरूरत नहीं थी। अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल को लेकर जल्दी निर्णय लेने की मांग की और कहा कि, इसे जल्द लागू किया जाना चाहिए। सरकार अपने वादों से मुकर नहीं सकती है।

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