पर्यावरण और नर्मदा संरक्षण के दूत अमृतलाल बेगड़ नहीं रहे
पर्यावरण और नर्मदा संरक्षण के दूत अमृतलाल बेगड़ नहीं रहे
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प्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार और नर्मदा समग्र के प्रमुख अमृतलाल बेगड़ का आज जबलपुर में लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया है. वे 90 वर्ष के थे .वे पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर पर थे. जबलपुर में नर्मदा किनारे ग्वारीघाट पर शुक्रवार शाम को अमृतलाल बेगड़ का अंतिम संस्कार होगा. आपका नाम उन चित्रकारों और साहित्यकारों में लिया जाता है जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण का रंग अपने जीवन में ही भर लिया था. 

47 साल की उम्र में 1977 में उन्होंने नर्मदा की परिक्रमा करना शुरू किया था और 2009 तक ये क्रम 4000 क‍िलोमीटर से भी अध‍िक दुरी तक जारी रहा. 50 वर्ष की उम्र से शुरू सफर 82 वर्ष तक चला. हिंदी की प्रसिद्ध किताब- नर्मदा की परिक्रमा है, जो उन्होंने नर्मदा परिक्रमा के दौरान हुए अनुभव के आधार पर लिखी थीं. नर्मदा के हर भाव और अनुभव को बेगड़ साहब ने अपने चित्रों और साहित्य में उतारा. उनकी गुजराती में 7, हिन्दी में 3 किताबें लिखीं. ‘सौंदर्य की नदी नर्मदा, ‘अमृतस्य नर्मदा’, ‘तीरे-तीरे नर्मदा’. साथ ही 8-10 पुस्तकें बाल साहित्य पर भी लिखीं. इन पुस्तकों के 5 भाषाओं में 3-3 संस्करण निकले.

कुछ का विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है. अमृतलाल बेगड़ का जन्म जबलपुर 3 अक्टूबर 1928 में हुआ था. उन्हें ह‍िन्दी में साह‍ित्य अकादमी पुरस्कार एवं महापंड‍ित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों दिए गए. 

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