खुशियों के लिए इस तरह ढूंढिए मुस्कुराने के बहाने
खुशियों के लिए इस तरह ढूंढिए मुस्कुराने के बहाने
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एक दिन साधु के पास एक युवक ने आकर पूछा - गुरुदेव, सदैव प्रसन्न रहने का कोई उपाय हो तो बताएं. साधु ने कहा - क्यों नहीं, आओ मै तुम्हे जीवन मै खुश रहने का सबसे सही मार्ग बताता हूँ. इतना कहकर वह युवक को अपने साथ लेकर भ्रमण के लिए चल दिए. पूरे रास्ते उन्होंने उस युवक को धर्म और जीवन के मुलभुत तत्वों के प्रवचन दिए और वह युवक भी बड़ी ही प्रसन्नता से सब सुनकर आनंदित हो रहा था.

थोड़ा आगे जाकर साधु ने उस युवक को एक बड़े पत्थर की ओर इशारा करते हुए उठाकर चलने को बोलै. आज्ञा मानकर उसने वह पत्थर उठा लिया ओर आगे बढ़ने लगा. साधु पहले की तरह ही उसे  उपदेश देते हुए आगे बढ़ रहें थे परन्तु पत्थर के कारण उस युवक को पीड़ा हो रही थी और उसे अब साधु के अमृत वचन भी कटु प्रतीत हो रहें थे. जब दर्द असहनीय हुआ तो युवक ने साधु को बीच में टोकते हुए बोला - आचार्य, आपके उपदेश अब मुझे अच्छे नहीं लग रहें है. इस पत्थर के भार से मेरा हाथ दर्द से फटा जा रहा है.

साधु जी ने तत्काल पत्थर को नीचे रखने आदेश दिया तो युवक ने उस पत्थर को फेंक दिया और रहत की सांस ली. तब उसे साधु ने बोला कि यही होता है जीवन में खुश होने का रहस्य. यदि तुम बुरी बातों के बोझ को मन में लेकर  चलते रहोगे तो कभी भी खुश नहीं रह पाओगे इसलिए इस भार को सदैव ही खुदसे दूर रखना. 

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