मुस्लिम समाज में कम होते हैं तीन तलाक के मामले
मुस्लिम समाज में कम होते हैं तीन तलाक के मामले
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जयपुर : एक ओर जहां तीन तलाक का मसला विवाद में है, वहीं आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड द्वारा इस बात का दावा किया गया है कि मुस्लिम समुदाय में तलाक की दर कम है। बोर्ड द्वारा कहा गया कि वह देशभर में मुस्लिम महिलाओं से 3.50 करोड़ रूपए प्राप्त कर चुका है, जो शरिया और ट्रिपल तालक के पक्ष में हैं। यह बात ईदगाह में आयोजित की गई 20 हजार महिलाओं की कार्यशाला में सामने आई। दरअसल इस कार्यक्रम में आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड की पदाधिकारियों और सदस्यों ने उपस्थितों को संबोधित किया।

उन्होंने बताया कि कुछ लोगों द्वारा प्रयास किया जाता है कि इन महिलाओं को गुमराह किया जाए। इस मामले में आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड की सदस्य यास्मीन फारूकी ने कहा कि मुस्लिम महिलाऐं शिक्षित नहीं हैं। ऐसे में इन महिलाओं को बरगला दिया गया है और इसी वजह से ये शरिया का विरोध कर रही हैं। मगर इनकी संख्या अधिक नहीं हैं।

मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने कहा कि वह तो समाज में होने वाले दहेज उत्पीड़न, बेटियों को संपत्तियों में मिलने वाले अधिकार और विवाह में होने वाले कम खर्च के मामले में विरोध कर रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि मुस्लिम समुदाय में तलाक अधिक होते हैं मगर यह बात सही नहीं है। बल्कि तीन तलाक के मसले पर आवाज उठाने वाली महिलाऐं कम हैं। आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड की महिला विंग की मुख्य संयोजक असमा जोहरा द्वारा आरोप लगाया गया कि यह सब मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के लिए किया गया है।

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