AIIMS ने ठुकराई संजीव चतर्वेदी की दानराशि, 19 लाख की रकम अब राष्ट्रीय राहत कोष में
AIIMS ने ठुकराई संजीव चतर्वेदी की दानराशि, 19 लाख की रकम अब राष्ट्रीय राहत कोष में
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नई दिल्ली : आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अपनी पुरस्कार राशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान देने का फैसला किया है। दरअसल चतुर्वेदी को रमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। जिसमें पुरस्कार स्वरुप उन्हें 30000 डॉलर की राशि मिली। जिसे उन्होने एम्स प्रशासन को गरीबों की मुफ्त इलाज के लिए दान देना चाहा। एम्स प्रशासन ने इस राशि को लेने से साफ इंकार कर दिया।

इसके बाद उन्होने इस राशि को राष्ट्रीय राहत कोष में देने का फैसला किया। इसके लिए उन्होने प्रधानमंत्री से पर्सनली मिलने के लिए समय मांगा है। मोदी से मिलकर वो देश में इमानदार सिविल सेवकों की दशा के बारे में चर्चा करना चाहते है। 21 सितंबर को चतर्वेदी ने एक चेक एम्स के डायरेक्टर को भेजा था। वहाँ इसे नही स्वीकारा गया। जिसके बाद उन्होने 5 दिसंबर को पीएम टू लेटर लिखा। पत्र में इस बात की बी जानकारी दी गई कि एम्स ने इस फंड को नही स्वीकारा है।

इस बात को सीधे हेल्थ मिनिस्टरी के समक्ष रखा गया है। गौरतलब है कि चतुर्वेदी का हमेशा से 36 का आंकड़ा रहा है, क्यों कि उन्होने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया है। कई ब्यूरोक्रेट्स व राजनीतिज्ञों के खिलाफ उन्होने भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया है और इसी कारण बार-बार उनका तबादला होता रहा है।

पत्र में लिखा गया है कि दुर्भावना और अनिच्छा इस बात से पूरी तरह से जाहिर होती है कि किसी अन्य निजी दानदाता के अन्य मामले में यह विषय स्वास्थ्य मंत्रालय को नहीं भेजा जाता और चंदे को फौरन ही संस्थान के खाते में जमा कर दिया जाता है जबकि मेरे मामले में मेरी विश्वसनीयता और कोष के स्रोत को पूरी तरह से जानते हुए भी मामले को जानबूझ कर स्वास्थ्य मंत्रालय के पास भेज दिया गया। ऐसा सिर्फ चंदे को अस्वीकार करने के लिए किया गया। स्वास्थ्य सचिव से उनकी मुलाकातों से भी इस मामले में कोई नतीजा नहीं निकला और अब भी इस रकम को जमा करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आया है।

पत्र में चतर्वेदी ने लिखा है कि यह पूरी तरह से अपमानजनक है। इसलिए मैने पुरस्कार की राशि राष्ट्रीय राहत कोष में देने का फैसला किया है। मैं स्वास्थय मंत्रालय के साथ इस मुद्दे पर कोई तकरार नही चाहता हूँ। इस रकम रको मानवीय कल्याण के कामों में प्रयोग में लाया जाए।

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