काबुल: संयुक्त राष्ट्र में अफगान राजदूत इसाकजई ने देश में बनी नई सरकार को लेकर हाल ही में एक बयान जारी किया। जी दरअसल उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में तालिबान की ओर से घोषित सरकार निश्चित तौर पर समावेशी नहीं है और अफगानिस्तान के लोग शासन के ऐसे ढांचे को कत्तई स्वीकार नहीं करेंगे, जिसमें महिलाएं और अल्पसंख्यक शामिल न हों। ' इसी के साथ उन्होंने वैश्विक संगठन से इस्लामी अमीरात की बहाली को अस्वीकार करने का आह्वान किया। जी दरअसल बीते मंगलवार को तालिबान ने मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व वाली एक कट्टरपंथी अंतरिम सरकार की घोषणा की।
इस सरकार में प्रमुख भूमिकाएं विद्रोही समूह के हाई-प्रोफाइल सदस्यों को दी गई है। जी हाँ और मिली जानकारी के तहत इसमें खूंखार हक्कानी नेटवर्क के विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी को आंतरिक मंत्री बनाया गया है। यह सब होने के बाद से ही भारत समेत अन्य देशों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि हक्कानी नेटवर्क का सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी कई हाई-प्रोफाइल हमले करा चुका है। वहीँ दूसरी तरफ मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के बारे में बात करें तो वह नई इस्लामी सरकार में मुल्ला हसन अखुंद के बाद दूसरे नंबर पर यानी उपप्रधानमंत्री होंगे। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकजई ने कहा, 'आज तालिबान ने अपनी सरकार की घोषणा की है। यह किसी भी हाल में समावेशी नहीं है।
अफगानिस्तान के लोग, खासकर युवा जो केवल एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान को जानते हैं, शासन की ऐसी संरचना को स्वीकार नहीं करेंगे, जो महिलाओं और अल्पसंख्यकों को बाहर रखती हो।' इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, 'वह चाहते हैं कि आप इस्लामी अमीरात की बहाली को अस्वीकार करना जारी रखें, तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मानवीय कानून के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराएं, एक समावेशी सरकार पर जोर दें। महिलाओं और लड़कियों के साथ तालिबान के व्यवहार और उनके अधिकारों को सम्मान देने के संबंध में एक मौलिक सीमा तय करें।'
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