जज पर ममता सरकार के लिए काम करने का आरोप ! अपने साथी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस गंगोपाध्याय, CJI चंद्रचूड़ ने लिया बड़ा फैसला
जज पर ममता सरकार के लिए काम करने का आरोप ! अपने साथी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस गंगोपाध्याय, CJI चंद्रचूड़ ने लिया बड़ा फैसला
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज शनिवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो पीठों की सभी कार्यवाही रोक दी, जिसमें कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच पर एकल न्यायाधीश और खंडपीठ के बीच एक संघर्ष देखा गया था। एक विशेष बैठक में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा साथी न्यायाधीश सौमेन सेन के खिलाफ लगाए गए 'कदाचार' के आरोपों पर ध्यान दिया। 

जस्टिस गंगोपाध्याय ने न्यायमूर्ति सेन पर "इस राज्य में कुछ सियासी दल के लिए स्पष्ट रूप से कार्य करने" और पश्चिम बंगाल में एक राजनीतिक नेता के पक्ष में दूसरे न्यायाधीश को डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। विशेष सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CBI को नोटिस जारी किया और मामले में पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष कथित फर्जी जाति प्रमाणपत्र घोटाले के संबंध में याचिकाकर्ता की याचिका पर उसे नोटिस भी जारी किया है।

क्या है ये मामला ?

दरअसल, इस सप्ताह की शुरुआत में, जस्टिस गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में MBBS उम्मीदवारों के प्रवेश में हुई गड़बड़ियों की CBI जांच का आदेश दिया था। जस्टिस ने माना था कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में भ्रष्टाचार के एक बड़े हिस्से की अभी तक सीबीआई द्वारा पूरी तरह से जांच नहीं की गई है। हालाँकि, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने न्यायमूर्ति सेन की खंडपीठ का रुख किया, जिसने एकल पीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दे दिया, यानी CBI जांच रोक दी गई। बाद में, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने निर्देश दिया कि खंडपीठ के आदेश के बावजूद CBI जांच जारी रहेगी।

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को इस आदेश की एक प्रति भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को तुरंत भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति सेन पश्चिम बंगाल में "सत्ता में कुछ राजनीतिक दल" को बचाने के लिए व्यक्तिगत हित में काम कर रहे थे। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, "न्यायमूर्ति सेन स्पष्ट रूप से इस राज्य में कुछ राजनीतिक दल के लिए काम कर रहे हैं और इसलिए, यदि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ऐसा सोचता है, तो राज्य से जुड़े मामलों में पारित आदेशों को फिर से देखने की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा, "जस्टिस सेन ने आज जो किया है, वह इस राज्य में सत्ता में कुछ राजनीतिक दल को बचाने के लिए अपने व्यक्तिगत हित को आगे बढ़ाने के लिए है। इसलिए, उनके कार्य स्पष्ट रूप से कदाचार के समान हैं।"

क्या है फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामला?

24 जनवरी को कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी होने को लेकर चिंता जताई गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि कई व्यक्तियों ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए ये फर्जी प्रमाणपत्र हासिल किए थे। मामला शुरू में 24 जनवरी की सुबह न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के समक्ष लाया गया था। इसके जवाब में जज ने मले की CBI जांच का आदेश दिया था, लेकिन ममता सरकार जांच के खिलाफ थी, उसने जस्टिस सेन से स्टे आर्डर ले लिया। 

बता दें कि, बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला, नगर निगम भर्ती घोटाला, राशन घोटाला, जैसे मामलों की जांच पहले ही CBI और ED कर रही है, जिसमे मोटी रिश्वत लेकर अयोग्य लोगों को नौकरी देने के आरोप हैं। इन मामलों में ममता सरकार के मंत्रियों से लेकर कई TMC नेता गिरफ्तार हो चुके हैं। जस्टिस गंगोपाध्याय का मानना है कि, फर्जी जाति प्रमाणपत्र के तार भी इन घोटालों से जुड़े हो सकते हैं, इसलिए उन्होंने CBI को इसकी जांच करने का आदेश दिया था। हालाँकि, फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने तमाम कार्रवाई पर रोक लगा दी है। 

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