27 फरवरी 2019। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के पैर कांप रहे थे, पसीने माथे पर था, और वो कह रहे थे, “खुदा का वास्ता इसको वापस जाने दें क्योंकि नौ बजे हिन्दुस्तान, पाकिस्तान पर हमला करने वाला है।”
यह मीटिंग चल रही थी थी बालाकोट एयर स्ट्राइक में शामिल भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को लेकर, जिनका विमान क्रैश हो गया था और वे पाकिस्तानी सरहद में जा गिरे थे। पूरे पाकिस्तान में खलबली मची हुई थी कि यदि अभिनंदन को खरोंच भी आई, तो भारत उन्हे छोड़ने वाला नही है। इस बात का खुलासा उस बैठक में मौजूद सांसद अयाज सादिक ने पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में खुद किया है। सादिक के अनुसार, भारत के खौफ का आलम ये था कि तत्कालीन पीएम इमरान खान ने तो बैठक में आने से ही इंकार कर दिया था।
दरअसल, पाकिस्तान ने फरवरी 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के अगले दिन यानी 27 फरवरी को भारत पर पलटवार करने के लिए 'ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट' को लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान एयरफोर्स (PAF) के एफ-16 फाइटर जेट्स जम्मू कश्मीर की सीमा में दाखिल हो गए थे। इनमें से ही एक जेट को अभिनंदन ने मार गिराया था। इसी तरह पाकिस्तानी विमानों को खदेड़ते हुए अभिनंदन पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हो गए थे और वहां उनका विमान क्रैश हो गया, जिसके बाद उन्हें पाकिस्तानी सेना ने हिरासत में ले लिया। लेकिन, नए भारत की दहशत इतनी थी की 56 घंटों में ही अभिनंदन को ससम्मान वापस भारत को लौटा दिया गया, क्योंकि पाकिस्तान जानता था, यदि ऐसा न किया गया तो उसका क्या हश्र होगा।
This is why today’s India is indeed a New India ..Diplomatic Capital of present day India saw the release of WC Abhinandan in 36hours
— Sambit Patra (@sambitswaraj) March 3, 2019
I thank all the leaders from our opposition parties using #BringBackAbhinandan ..but did these Congress workers ever feel for the “Missing 54”? pic.twitter.com/R112t6CDbE
वो 54 जवान जो आज तक नही लौटे :–
साल 1971, जब पाकिस्तान ने बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) पर हमला कर दिया था। बांग्लादेश को आज़ाद कराने में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की बड़ी भूमिका मानी जाती है। लेकिन बहुत कम लोग ही इस बात को जानते होंगे कि, इस युद्ध में भारत की सेना ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों और नागरिकों को गिरफ्तार किया था। इनमें पाकिस्तानी सैनिकों की संख्या 81 हजार और नागरिकों की संख्या 12 हजार थी।
लेकिन इस युद्ध के बाद इंदिरा गांधी ने उन सभी युद्धबंदियों को पाकिस्तान वापस भेज दिया था। जबकि इसी युद्ध के दौरान पाक द्वारा पकड़े गए 54 भारतीय सैनिकों को छुड़ाने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया। इन 54 सैनिकों को आज भी देश में Missing 54 कहा जाता है। इन 54 सैनिकों में 30 थल सेना के सौनिक और 24 वायु सेना के सैनिक थे। काश, उस वक़्त कोई नेता पहल करता तो 'अभिनन्दन' की तरह माँ भारती के वे 54 पुत्र भी वापस आ जाते और शायद पाकिस्तान के 93 हज़ार सैनिकों को रिहा करने के एवज में कश्मीर समस्या सुलझा ली गई होती।
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