नई दिल्लीः उच्च न्यायालय में एक बड़ा फैंसला लेते हुए अब बेटे को घर पर अधिकार जताने का हक हटा दिया गया है। मंगलवार को उच्च न्यायालय में कहा गया की किसी भी बेटे को अपने माता-पिता के घर पर कोई हिस्सा जताने का हक नहीं दिया गया है। खासतौर पर वह घर जिसे खुद माता-पिता ने अर्जित किया हो। अदालत ने एक व्यक्ति और उसकी पत्नि की अपील को खारिज करते हुए यह फैंसला सुनाया है। अपील में एक निचली अदालत द्वारा माता पिता के पक्ष में दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। माता-पिता ने बेटे और बहू को घर खाली करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय में कहा गया कि बेटे को अपने माता-पिता के खुद की अर्जित किए गए घर में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और वह केवल उनकी दया पर ही वहां रह सकता है, फिर चाहे बेटा विवाहित हो या अविवाहित। अगर आपके मां-बाप चाहते है। की उनका बेटा उनके घर मे रहे तो बेटा तब तक अपने मां-बाप के घर पर रह सकता है। अदालत ने कहा कि चूंकि माता पिता ने संबंध अच्छे होने के वक्त बेटे को घर में रहने की अनुमति दी, इसका यह मतलब नहीं कि वे पूरी जिंदगी उसका बोझ उठाएं।
यह बड़ा फैंसला न्यायमूर्ति प्रतिभा रानि ने अपने आदेश में लेते हुए कहा की जहां पर माता-पिता ने खुद कमाकर अपनी मेहनत से घर बनाया हो वहां पर कोई भी बेटा हक नहीं जता सकता और न ही कानूनी तरीके से उस पर बेटे का अधिकार होगा। अब चाहे बेटा विवाहित हो या फिर अविवाहित दोनो ही स्थिति में बेटे का कोई भी हक नहीं बनता है माता-पिता के घर पर कानूनी हक जताने का। बेटा केवल उसी समय तक वहां रह सकता है जब तक के लिए वे उसे रहने की अनुमति दें।
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