तो इसलिए लकम्मा देवी को चढ़ाई जाती है चप्पलों की माला
तो इसलिए लकम्मा देवी को चढ़ाई जाती है चप्पलों की माला
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भारत में बहुत से मंदिर है, जिनकी कोई न कोई विशेषता है व सभी मंदिरों में फल-फूल, सोना-चांदी, पैसा आदि चढ़ाया जाता है. हिन्दू संस्कृति के अनुसार जब भी हम किसी मंदिर में जाते है, तो अपने जूते-चप्पल मंदिर के बाहर उतारकर मंदिर में प्रवेश करते है. लेकिन क्या आप जानते है, की एक मंदिर ऐसा भी है, जहां देवी को चप्पलें चढ़ाई जाती है. इस बात पर विश्वास करना बहुत मुश्किल है, किन्तु यह सत्य है. दरअसल कर्नाटक राज्य के गुलबर्ग के गोला में लकम्मा देवी का एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां देवी लकम्मा को चप्पलें चढ़ाई जाती है, तो आइये जानते है, इस मंदिर में चप्पलें चढाने का क्या कारण है?

जब भी आप इस मंदिर में जायेंगे इसके आस-पास लगी दुकानों पर आपको चप्पलों की माला बिकती हुई दिखाई देगी. लोग इस मंदिर के बाहर स्थित नीम के पेड़ में चप्पलों की माला बांधकर माता से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते है. इस मंदिर की एक खासियत यह भी है, की यहां का पुजारी एक मुसलमान है. 

माना जाता है, की इस मंदिर में जो भी भक्त माता को चप्पलों की माला चढ़ाता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है. इस विषय पर यहाँ के लोगों का कहना है की एक बार माता पहाड़ी पर भ्रमण कर रही थी तभी दुत्तारा गाँव के देवता ने उन्हें देख लिया व माता को पाने के लिए उनका पीछा करने लगा. तब माता ने उस देवता से बचने के लिए अपने सिर को भूमि में धंसा दिया व इसी रूप में वहां विराजमान हो गई तभी से यहाँ इसी रूप में माता की पूजा की जाती है.

पहले के समय में इस मंदिर में बैलों की बलि देने की प्रथा चलती थी. लेकिन जब बलि प्रथा पर शासन द्वारा रोक लगने पर इसे बंद कर दिया गया. जिससे माता क्रोधित हो गई व इन्हें शांत करने के लिए बलि के बदले चप्पलों की माला चढाने की प्रथा का प्रचलन शुरू हो गया.

 

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