किसी विष की भांति नीला हो जाता है यहाँ चढ़ाया गया दूध
किसी विष की भांति नीला हो जाता है यहाँ चढ़ाया गया दूध
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में ग्रहों का प्रभाव रहता है व कुंडली में ग्रहों की दशा के कारण ही व्यक्ति के सुख व दुःख का निर्धारण होता है. व्यक्ति की कुंडली में कुल नौ ग्रह होते है, जिनमे से राहु व केतु को छाया ग्रह माना जाता है. सभी ग्रहों का स्वभाव अलग-अलग होता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है. भारत के कई स्थानों पर ग्रहों के मंदिरों का निर्माण हुआ है, जिनमे से सबसे अधिक प्रसिद्ध मंदिर केरल राज्य के किजापेरुमपल्लम गांव में स्थित है, जिसे नागनाथस्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है जो की केतु ग्रह को समर्पित है.

कावेरी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर केतु ग्रह को समर्पित अवश्य है, किन्तु यहां मुख्य रूप से भगवान शिव के नागनाथ रूप की पूजा की जाती है. इस मंदिर से एक पौराणिक कथा जुड़ी है, जिसके अनुसार केतु ने एक ऋषि के श्राप से मुक्त होने के लिए इस स्थान पर भगवान शिव की तपस्या की थी. केतु की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शिवरात्रि के दिन केतु को दर्शन दिए व उसे श्राप से मुक्त किया.

माना जाता है कि केतु का धड़ सांप की भांति है व उसका शीश मनुष्य के समान, इसी वजह से केतु को साँपों का देवता भी कहा जाता है. इस मंदिर की विशेषता है कि केतु से पीड़ित व्यक्ति यदि इस मंदिर में आकर केतु को दूध अर्पित करता है, तो उसे केतु के दोष से मुक्ति मिलती है और ऐसा कहा जाता है कि यदि केतु से पीड़ित व्यक्ति दूध चढ़ाता है, तो वह दूध नीले रंग में बदल जाता है.

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