अब  भाजपा आंध्र में अपना जनाधार बढ़ाएगी
अब भाजपा आंध्र में अपना जनाधार बढ़ाएगी
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आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के मुद्दे पर राजग की सहयोगी पार्टी तेदेपा के केंद्र में शामिल दो मंत्रियों नागरिक उड्डयन मंत्रीअशोक गजपति राजू और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री वाई एस चौधरी ने कल शाम पीएम मोदी से मुलाकात के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके पहले आंध्र में बीजेपी कोटे के दो मंत्री कामिनेनी श्रीनिवास, माणिक्याला राव ने भी अपना इस्तीफा दे दिया था. इसके साथ ही तेदेपा के राजग से अलग होने की संभावना बढ़ गई है. पीएम मोदी की पहल के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलने से दोनों पक्ष में निराशा देखी जा रही है.

तेदेपा के राजग से अलग होने की घटना में बीजेपी और तेदेपा की अपनी -अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं.जहां तेदेपा आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की जिद कर रही है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार की भी अपनी संवैधानिक बाध्यताएं हैं, जिनके कारण चाहकर भी तेदेपा की मांग पूरी नहीं की जा सकती है. योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अनुसार फिलहाल किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है .यहां यह उल्लेख प्रासंगिक है कि देश में फ़िलहाल कुल 11 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा हासिल है.

जहाँ तक भाजपा का सवाल है, तो  यहां भाजपा नजदीक का नहीं दूर का फायदा देख रही है. वह बहुदलीय आंध्र में अपना जनाधार बढ़ाना चाह रही है.भाजपा यह मानकर चल रही है कि आंध्र प्रदेश में अगर अकेले भी लड़ना पड़े तो नुकसान की संभावना बहुत कम है. इसी तर्ज पर वह महाराष्ट्र में भी एक सफल प्रयोग कर चुकी है.भाजपा का मानना है कि देश भर से मिल रहे समर्थन के बाद आंध्र में मोदी के चेहरे के साथ भाजपा कुछ खोने की बजाय ज्यादा ही पाएगी.  आंध्र प्रदेश से भाजपा के अभी सिर्फ दो सांसद और चार विधायक हैं.जबकि आंध्र से लोकसभा की 25 सीटें हैं.

इसीलिए पार्टी अब यह विचार कर रही है कि भाजपा को थोड़ा जोखिम लेते हुए खुद का जनाधार बढ़ाना चाहिए. इसीके तहत भाजपा ने पहले ही प्रदेश में अपना सोशल मीडिया प्रचार तंत्र तेज कर जनता को यह बताने की कोशिश शुरू कर दी है, कि केंद्र सरकार ने राज्य के लिए क्या किया और कितने कम समय में किया.  अब भाजपा आंध्र में एकला चालो को अपनाते हुए अपना जनाधार बढ़ाएगी. इसके बाद वहां के अन्य छोटे दलों का साथ लेकर वह आंध्र प्रदेश में भी अपनी सरकार बनाना चाहेगी.

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