नई दिल्ली -ये बात तो आप सभी जानते होंगे की राष्ट्रगान को सम्मान देश के हर व्यक्ति को देना चाहिए किन्तु उसे राष्ट्रगान गाना भी हैं ये जरूरी नही हैं ये अहम् फैसला सुप्रीम कोर्ट ने लिया हैं. देश के हर व्यक्ति को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना चाहिए किन्तु यदि वो व्यक्ति राष्ट्रगान गा नही रहा हैं तो इसे राष्ट्रगान का अपमान नही समझा जायेगा.
ज्ञात हो की बिजोए एम्मानुएल वर्सेस केरल राज्य AIR 1987 SC 748 [3] नाम के एक वाद में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक सवाल उठाया गया था जिसमे उन्होंने पूछा था की क्या किसी को कोई गीत गाने के लिये मजबूर किया जा सकता है अथवा नहीं? और ये मामला इसलिए उठाया गया क्योंकि कुछ विद्यार्थियों को स्कूल से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि वो राष्ट्रगान में खड़े तो होते किन्तु राष्ट्रगान गाते नही थे. और विद्यार्थियों ने राष्ट्रगान गाने से भी साफ़ इनकार कर दिया था.
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला लेते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का सम्मान करता है परंतु उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह इसका अपमान कर रहा है. अत: इसे न गाने के लिये उस व्यक्ति को दण्डित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए विद्यार्थियों को स्कूल को वापस लेने को कहा हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आगे कहा की राष्ट्रगान के समय खड़े होना जरूरी हैं ऐसा भी कोई नियम नही हैं. बस व्यक्ति को राष्ट्रगान होते वक़्त उसे सम्मान देना चाहिए और वो ये काम बैठ कर भी कर सकता है. सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार जब राष्ट्रगान चल रहा हो तब व्यक्ति किसी भी अनुचित गतिविधि में संलग्न न हो.