जानिए उत्तर कोरिया के कूट शब्दों के मायने
जानिए उत्तर कोरिया के कूट शब्दों के मायने
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पूरी दुनिया से बेख़ौफ़ उत्तर कोरिया लगातार परमाणु मिसाइल का परीक्षण कर रहा है. वह अमेरिका से भी भयभीत नहीं है. इसका मूल कारण देश का आंतरिक साहस है, देश की सुरक्षा से लेकर अर्थव्यवस्था तक के लिए निरंतर कोशिश में लगा उत्तर कोरिया इसके लिए कूट शब्दों का इस्तेमाल करता है. इन कूट शब्दों का वहां की मीडिया में अक्सर उपयोग किया जाता है. आइये इनका अर्थ समझते है.

उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया में सॉनगन शब्द का अर्थ है 'सेना पहले', इसकी शुरुआत वहां के नेता किम इल सुंग ने 1960 में की थी. उत्तर कोरिया में 25 अगस्त को सॉनगन दिवस का राष्ट्रीय अवकाश रखा जाता है. जबकि दूसरा शब्द है ज्यूचे जो कि उत्तर कोरिया की 'आत्मनिर्भरता नीति' का नाम है, जिसे किम इल सुंग ने आरम्भ किया था. यह शब्द 'अर्थव्यवस्था के विकास के लिए दृढ़ कोशिशों' से जुड़ा है.

बता दें कि बायोंगजिन ये किम जोंग उन की अहम नीति है, जिसमें परमाणु हथियारों और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विकास करने पर ज़ोर दिया गया है. इसकी घोषणा सबसे पहले वर्ष 2013 में की गई थी. चोलिमा, पंख वाला एक काल्पनिक घोड़ा है. चोलिमा मूवमेन्ट की शुरुआत 1950 में हुई थी. इसी तरह मलिमा भी एक काल्पनिक घोड़ा है, लेकिन ये एक ऐसा घोड़ा है जो बहुत तेज़ी से लंबी दूरी तक दौड़ सकता है, इसकी रफ़्तार चोलिमा घोड़े से दस गुना ज़्यादा है. मीडिया में अक्सर 'मलिमा की रफ़्तार' का ज़िक्र, देश के आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए ज़्यादा किया जाता है .

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