भारत में लागू हो सकती है 'बैड बैंक' की अवधारणा
भारत में लागू हो सकती है 'बैड बैंक' की अवधारणा
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विदेशों की तरह भारत में भी बैड बैंक को लागू करने की अवधारणा पर विचार किया जा रहा है. हालांकि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राम राजन इसके खिलाफ थे. अब आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल के बाद इसे शुरू करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. मिली जानकारी के अनुसार नए गवर्नर के आने के बाद बैड बैंक को लाने पर विचार किया जा सकता है, जिसके जरिए कर्ज में फंसे बैंक अपनी देयताओं को बैड बैंक को स्थानांतरित कर पाएंगे.

अधिकारी ने बताया कि अगले दो से तीन महीने में इस दिशा में कुछ कदम उठाए जा सकते हैं, अब क्योंकि आरबीआई के नए गवर्नर आ गए हैं तो इसकी संभावना बढ़ गई है. सरकारी नीतियां बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले इस अधिकारी के अनुसार इस आइडिया पर वित्त मंत्रालय का साथ भी जरूरी है. आइए जानते हैं कि बैड बैंक की अवधारणा को समझ लें.

दरअसल यह एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नए बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है. ये बैड बैंक कर्ज में फंसी उनकी राशि को खरीद लेगा और उससे निपटने का काम भी इसी बैंक का होगा. जब किसी बैंक की गैर निष्पादित संपत्ति सीमा से अधिक हो जाती है तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है जो मुख्य बैंक की देयताओं को एक निश्चित समय के लिए धारण कर लेता है.

जबकि पूर्व गवर्नर राजन ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ऐसा करने से बैंक लापरवाह हो जाएंगे, जबकि अपना पैसा वसूलने की जिम्मेदारी खुद बैंकों की होनी चाहिए. बैड बैंक आने की स्थिति में वो यही समझेंगे कि उन्हें देयताओं से छुटकारा मिल जाएगा. ऐसे में लोन की समस्याओं में परेशानी आएगी.

ब्याज दर घटने की उम्मीद से लोन सस्ता होने का अनुमान

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