आसमान की निगहबान वायु सेना
आसमान की निगहबान वायु सेना
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आज वायु सेना दिवस है. इसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गई थी. पूर्ण गणतंत्र घोषित होने से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था. दरअसल भारतीय वायुसेना (इंडियन एयरफोर्स) भारतीय सशस्त्र सेना का एक ऐसा अंग है जो देश के लिए युद्ध, सुरक्षा और चौकसी का महत्वपूर्ण कार्य करती है. देश की सुरक्षा में आज सबसे बड़ा योगदान वायु सेना का है. भारत देश में लगभग 24000 किलोमीटर अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा जिम्मेदारी भारतीय वायु सेना के पास है.

भारत देश की सीमा पर जब-जब संकट आया है भारतीय वायुसेना संकटमोचक के रूप में नजर आई है. यदि अतीत पर नजर डालें तो पता लगता है कि आज़ादी के बाद से ही भारतीय वायुसेना ने कई बड़े मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, जिनमें ऑपरेशन विजय, गोवा का अधिग्रहण, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस व ऑपरेशन पुमलाई आदि शामिल है.

यही नहीं भारतीय वायुसेना ने संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भी सहयोग किया है. उल्लेखनीय है कि 1962 के चीन युद्ध और 1965 के पाक युद्ध में अपना अप्रतिम योगदान देने वाली वायु सेना के मई 1999 में पाकिस्तान से हुए कारगिल युद्ध में दिए योगदान को कैसे भूल सकते हैं. जब उसने भारतीय सेना को मदद करते हुए सबसे बड़ी संकट मोचक साबित हुई है.

जहाँ तक वायुसेना की व्यवस्था का सवाल है, तो बता दें कि भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायु सेना के कमांडर इन चीफ होते है. वायु सेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल (ACM), एक चार सितारा कमांडर हैं, जो वायु सेना का नेतृत्व करते है. फिलहाल बीरेंद्र सिंह धनोआ इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना होने का गौरव हासिल करने वाली हमारी वायु सेना पर हमें नाज़ है, क्योंकि हमारे वायु सैनिक हौंसलों से उड़ान भरते हैं.

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