7 अरब सपनों का विश्व पर्यावरण दिवस
7 अरब सपनों का विश्व पर्यावरण दिवस
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हर वर्ष की तरह इस बार भी 5 जून को विश्व भर में पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। दुनिया के सौ से अधिक देशों मे कई तरह के आयोजन होते हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित इस दिन को मनाने की विश्व स्तर पर मुख्य ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की रहती है।

इस वर्ष के पर्यावरण दिवस की थीम है- 

सात अरब सपने, एक गृह, सावधानी से उपयोग करें

(Seven billion dreams, one planet, consume with care)

मुख्य कार्यक्रम इटली के मिलान में आयोजित होगा, यानि इटली इसका मेजबान देश है। यहाँ एक बड़ी प्रदर्शनी भी लगेगी। इस ‘मिलान एक्स्पो’ की थीम है : Feeding the planet : energy for life.

जरा देख लें, हमारे देश में क्या हो रहा है- 

  • भोपाल में एक साइकल रैली आयोजित होगी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह भी शामिल होंगे।
  • वाराणसी में एक ‘जागरूकता दौड़ होगी, जिसमें दौड़ लगाकर लोग प्रकृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताएँगे। जागने वाले ही दौड़ेंगे, सोने वाले तो सोते ही रहेंगे।
  • प्रधानमंत्री मोदी पौधा लगाकर पर्यावरण-प्रेम का संदेश देंगे।
  • भारत रत्न सचिन तेंडुलकर और भारतीय टेस्ट क्रिकेट कप्तान विराट कोहली भी पौधारोपण करके, यही संदेश देने का काम करेंगे।
  • स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने घोषित किया है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अब पर्यावरण के लिए हितकर (एको-फ्रेंडली) तरीके या टेक्नालाजी इस्तेमाल की जायेगी।
  • यह एक ही सर्वाधिक सार्थक खबर है कि पर्यावरण मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि अब शहरो के आसपास मौजूद वन-विभाग की और सरकारी खाली जामीनों पर जंगली पेड़ों की हरियाली लगाकर ‘अर्बन फॉरेस्ट या शहरी जंगल’ विकसित किये जायेंगे।

अब जरा यह भी जान लें कि क्या हो सकता था, जो नहीं हो रहा है- 

  • सरकारी स्तर पर कहीं भी कोई बड़ा यानि हजारों-लाखों पौधे लगाने का कार्यक्रम नहीं हो रहा है। पिछले वर्ष ओमन चांडी कि सरकार ने केरल में 10 लाख वृक्षों के लिए पौधारोपण किया था और कलकत्ता में सेना ने भी पहल करके बालीगंज कैंप में हजारों पौधे लगवाये थे।
  • पर्यावरण संबंधी बड़ी-बड़ी चुनौतियों के संबंध में कोई राष्ट्रिय स्तर की संगोष्ठी या सेमिनार भी नहीं हो रहा है। जबकी इस समय ये समस्याए बढ़ती ही जा रही हैं और ऐसे चिंतन कार्यक्रमों की बहुत जरूरत है।
  • 6 अप्रैल 2015 को सरकार ने देश में पहली बार एक ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)’ मापने की घोषणा की थी। अब तक इस AQI को 10 शहरों में मापने से क्या निष्कर्ष निकले हैं ? और उनके प्रकाश में हम अपनी पर्यावरण संबंधी नीतियों मे क्या सुधार कर रहे हैं ? इस बारे में सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है और कल भी कुछ नहीं कहा जाने वाला है । कब कहेंगी अर्थात पर्यावरण नीति क्या होगी ? कुछ पता नहीं।

ऐसे समय में, जबकि पर्यावरण के संकट गंभीर होते जा रहे हैं, सरकार की ओर से पर्याप्त गंभीरता दिखाई नहीं दे रही है। लगता है कि सरकार की उदासीनता भी पर्यावरण पर एक संकट बन गयी है।

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