आज से 43 वर्ष पूर्व भी 'मोरबी' में मची थी भीषण तबाही, मरे थे 1400 लोग, पहुंची थी इंदिरा गाँधी
आज से 43 वर्ष पूर्व भी 'मोरबी' में मची थी भीषण तबाही, मरे थे 1400 लोग, पहुंची थी इंदिरा गाँधी
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अहमदाबाद: गुजरात के मोरबी में हुए हृदयविदारक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में 141 लोगों की मौत होने की बात सामने आई है। वहीं 200 से अधिक अब भी लापता बताए जा रहे हैं। बता दें कि, ये पहली दफा नहीं है, जब मोरबी में इतना बड़ा संकट आया है। आज से लगभग 43 वर्ष पूर्व एक ऐसा ही एक हादसा 11 अगस्त 1979 को हुआ था। उस दौरान मच्छू डैम बुरी तरह टूट गया था और देखते ही देखते पूरा शहर जलमग्न हो गया था। हजारों लोगों की जान चली गई थी, चारों ओर केवल मलबा और लाशों का ढेर लग गया था।

पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना का जिक्र करते हुए एक बार बताया था कि 11 अगस्त 1979 को लगातार तीन दिन बारिश होने की वजह से मच्छू नदी का बाँध टूट गया था और भयंकर तबाही मची थी। पीएम मोदी ने साल 2017 में भी चुनाव के दौरान इस घटना का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि उस हादसे के बाद इंदिरा गाँधी वहां का मुआयना करने आईं थी, लेकिन उन्होंने इलाके में नाक बंद करके प्रवेश किया था। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता कमर तक कीचड़ में घुस-घुसकर लोगों को बहार निकाल रहे थे। रविवार शाम (30 अक्टूबर) को मोरबी में 140 वर्ष पुराना पुल टूटने की वजह से हुए हादसे के बाद लोग एक बार फिर से 43 वर्ष पूर्व की उसी तबाही को याद कर रहे हैं। 

बताया जाता है कि 1979 में जब इलाके से पानी कम हुआ, तो और भयावह मंजर नज़र आया। वहां, खंबों पर न सिर्फ घर के सामान लटके हुए थे, बल्कि उनके साथ इंसानों और जानवरों की लाशें भी खंबों में फंसी हुईं थीं। चारों तरफ सिर्फ लाश ही लाश थी, कहीं इंसानों की तो कहीं जानवरों की। इतने दिन पानी में रहने के बाद लाशें सड़ने लगीं थीं और चारों तरफ दुर्गन्ध फैल गई थी। जो टीमें राहत कार्य में जुटकर स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही थीं, उन्हें भी बाद में बीमारी का शिकार होना पड़ा था। कई दिनों तक उन लोगों के शरीर में दर्द जैसी समस्या होती रहीं। वहीं, वो दुर्गंध भी बचावकर्मियों के दिमाग से जाने का नाम नहीं ले रही थी। पुराने लोग बताते हैं कि, जब उन लाशों का अंतिम संस्कार किया गया, तो पूरा मोरबी श्मशान जैसा दिखने लगा था।

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि, उस हादसे में 1439 लोगों की जान गई थी और 12,849 जानवर मारे गए थे। वहीं विकिपीडिया इस हादसे में 1800 से 25000 लोगों की मौत का दावा करता है। वहीं, डैम टूटने के चलते 100 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान भी हुआ था।   

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