भगवान श्री कृष्ण से जुड़ें 10 रहस्य, जैन धर्म से है कान्हा का गहरा रिश्ता
भगवान श्री कृष्ण से जुड़ें 10 रहस्य, जैन धर्म से है कान्हा का गहरा रिश्ता
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हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के रोम-रोम में भगवान श्री कृष्ण पाए जाते हैं. माता देवकी और पिता वसुदेव के घर जन्में श्री कृष्ण ने मानव जीवन को जीने की एक नई राह दिखाई. भगवान श्री कृष्ण को जितना जाना जाए उतना कम है. ऐसे में आज हम आपको श्री कृष्ण से जुड़ें कुछ ऐसे रहस्य बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है.

भगवान श्री कृष्ण से जुड़ें 10 रहस्य...

- भगवान श्री विष्णु के 8वें अवतार श्री कृष्ण है. श्री कृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था. 

- हिंदू धर्म से निकलकर बने जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर अरिष्ट नेमिनाथ भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे. हालांकि दूसरी ओर जैन धर्म ने श्री कृष्ण को उनके त्रैषठ शलाका पुरुषों में से माना है, जो नौ वासुदेव में से एक है.

- लगभग 3112 ईसा पूर्व श्री कृष्ण का जन्म माना जाता है. धर्म, राजनीति, समाज और नीति-नियमों को श्री कृष्ण ने व्यवस्थित रखा.

- भगवान श्री कृष्ण के रंग को लेकर कहा जाता है कि वे काले, सांवले रंग के थे. लेकिन असल में उनकी त्वचा का रंग मेघ श्यामल (Cloud Shyamal) था. 

- श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था. वहीं उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि स्थानों पर बीता. देवकी-वासुदेव के कारगर में होने के कारण उनका लालन-पालन माता यशोदा और नंद जी ने किया था. 

- भगवान विष्णु के छठे अवतार यानी कि श्री परशुराम जी ने श्री विष्णु के 8वें अवतार यानी कि श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र भेंट किया था.

- श्री कृष्ण के पास सुदर्शन चक्र के अलावा और भी कई प्रकार के दिव्यास्त्र थे. श्री कृष्ण के धनुष का नाम 'सारंग', खड्ग का नाम 'नंदक', गदा का नाम 'कौमौदकी' और शंख का नाम 'पांचजञ्य' था.

- जब श्री कृष्ण ने देह का त्याग किया, उस समय वे जवान ही थे. न तो उनके बाल सफ़ेद हुए और न ही उनके चेहरे पर झुर्रियां थी. वे ताउम्र जवान ही रहे.

- अपने जीवन के अंतिम वर्षों को छोड़कर श्री कृष्ण कभी भी 6 माह से अधिक समय तक द्वारिका में नहीं रहे. 

- श्री कृष्ण की औपचारिक शिक्षा मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में पूरी हुई है. वे गुरु संदीपनी के शिष्य थे. 

 

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