'आतंकवाद को आश्रय देनेवाले कभी धर्म के रक्षक नहीं हो सकते'
'आतंकवाद को आश्रय देनेवाले कभी धर्म के रक्षक नहीं हो सकते'
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हाजीपुर: रविवार को वैशाली कला मंच द्वारा 'शांति व प्रेम का पर्व ईद और आतंकवाद' विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमे वक्ताओं ने कहा, आनेवाली पीढ़ी और नौजवानों को भारतीय संस्कृति के मूल अर्थ से परिचय कराना होगा. 

जहां आतंकवाद जैसे किसी शब्द की गुंजाइश ही नहीं है. इनसानियत का धर्म सर्वोपरि है. दूसरे की पीड़ा को समझना ही सबसे बड़ा धर्म है. आतंकवाद को प्रश्रय देनेवाले कभी धर्म के रक्षक नहीं हो सकते.  सांस्कृतिक और रंगकर्म की संस्था वैशाली कला मंच ने इसका आयोजन हाल ही में हुए ढाका आतंकी हमले में मारे गये लोगों के श्रद्धांजलि स्वरूप किया था. 

कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष प्रो चंद्रभूषण सिंह शशि की अध्यक्षता एवं साहित्यकार रवींद्र कुमार रतन के संचालन में आयोजित गोष्ठी में विचार रखते हुए चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनिलचंद कुशवाहा ने कहा कि सारे धर्मों का सम्मान करना ही हमारा धर्म होना चाहिए, क्योंकि सभी धर्म मानवता का ही संदेश देते हैं. 

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