अग्नि के साथ जीवन की खुशियों का त्यौहार लोहड़ी
अग्नि के साथ जीवन की खुशियों का त्यौहार लोहड़ी
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भारत देश संस्कृतियों और मान्यताओं में रचा बसा है। यह वह देश है जहां पर हर दिन कोई न कोई उत्सव मनाया जाता है। जी हां, मगर आप इस बारे में कुछ अलग सोच रहे होंगे। उत्सव का अर्थ धन को खर्च कर भौतिक वस्तुऐं खरीदकर प्रसन्नता मनाने में नहीं है। उत्सव का अर्थ है उल्लासित वातावरण में सभी के बीच मनाया जाने वाला आनंद है। ऐसा ही एक उत्सव है लोहड़ी। लोहड़ी मूलरूप से उत्तर भारत का प्रमुख पर्व है। यह जम्मू कश्मीर और पंजाब में विशेषतौर पर मनाया जाता है।

यह कई मान्यताओं से जुड़ा है और पंजाबी परिवार में तो इस पर्व को लेकर विशेषतौर पर मनाया जाता है। दरअसल यह पर्व उल्लास का है। सर्द रात्रि में भी लोग घरों और खेतों के आसपास एकत्रित होकर अलाव जलाते हैं। अपेक्षाकृत ऊंचा अलाव जलाकर अग्नि के चारों ओर घूमने अर्थात् परिक्रमा लेने की भी परंपरा है। इस अग्नि में पंजाबी लोग चिवड़ा डालते हैं। दरअसल चिवड़ा पंजाबी समुदाय द्वारा अपने घरों में बनाने वाला एक व्यंजन है।

दरअसल इस पर्व के माध्यम से लोग नई फसल आने पर प्रसन्नता मनाते हें। इतना ही नहीं लोग अग्नि में नई फसल भी डालते हैं। तो दूसरी ओर मूंगफली, मक्का, गजल, मक्का आदि प्रसाद के तौर पर समर्पित की जाती है। लोग प्रसन्न होकर भांगड़ा करते हैं और श्री गुरूग्रंथ और गुरूनानक जी के स्मरण के ही साथ प्रसन्नता भरे लोकगीत गाए जाते हैं।

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