फिल्म रिव्यु : जीत की हाहा कार है 'दंगल'
फिल्म रिव्यु :  जीत की हाहा कार है 'दंगल'
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न्यूज़ ट्रेक रेटिंग : फिल्म दंगल आज रिलीज हो गई है, फिल्म को हमारी तरफ से हमने दिए है 4 स्टार.

जानिए क्यों मिले इतने स्टार : जैसा की सब जानते है आमिर खान हर बार अपनी फिल्म में कुछ न कुछ नया लेकर आते है. इस बार वे बने है पहलवान बापू यानि पहलवान महावीर फोगाट जो अपनी बेटी गीता और बबिता को पहलवानी सिखाता है. फिल्म की कहानी और कलाकारों के द्वारा किया गया अभिनय फिल्म की मेन रेसेपी है. ऐसे में फिल्म को 4 स्टार मिलना पूरी तरह से सही है.

दर्शको की प्रतिक्रिया : फिल्म के ट्रेलर को देखकर ही दर्शको के मन में फिल्म को लेकर काफी उत्सुकता बनी हुई थी. फिर आमिर खान की प्रमोशन करने की टेक्निक फिल्म की उत्सुकता को बढ़ाती जा रही थी. फिल्म के लिए आमिर खान द्वारा समय समय पर कमेंट्स और समय समय पर रिलीज किये गए पोस्टर फिल्म को और भी ज्यादा चर्चाओ में बनाये रखे हुए थी. साथ ही दर्शको द्वारा फिल्म को देखने के बाद जो प्रतिक्रिया मिल रही है उस हिसाब से फिल्म का सुपरहिट होना लाजमी है.

फिल्म की कहानी : यह कहानी है एक बाप की जिसके मन में केवल एक ही उम्मीद बची हैं और वो हैं उसकी बेटियां. उसकी बेटियां जो उसे पदक दिलवाएंगी और नाम रोशन करेगी उसका और हिंदुस्तान का. ये कहानी हैं ऐसी बेटियो की जो जुट गई हैं कुश्ती के मैदान में, अपने बाप के लिए और अपने देश के लिए....और यही से शुरू होता हैं दंगल..!! अमिताभ भट्टाचार्या ने इस कहानी को कुछ इस अंदाज में लिखा हैं जो हमारे दिलों में एक खास जगह बना देता हैं. यहाँ कहानी एक रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित हैं जहाँ एक हारा हुआ बाप हैं जो एक बेटे के इंतजार में रहता हैं लेकिन उसे बेटा नसीब नहीं होता है.

आखिरकार उसे यह समझ आता हैं कि "उसकी बेटियां भी किसी बेटे से कम नहीं हैं".वह अपनी बेटियो को ही दंगल के लिए तैयार करता हैं और लड़कियों के शौक मेकअप से कुश्ती की तरफ अपना रुख कर लेते हैं. फिल्म में जहाँ बाप महावीर फोगाट (आमिर खान) अपनी लड़कियों गीता फोगाट(फ़ातिमा सना शेख़) और बबीता कुमारी (सान्या मल्होत्रा) को सुबह 5 बजे उठाकर दौड़ाने का काम करता हैं और कसरते करवाता हैं. वह उन्हें इस काबिल बनाता हैं कि वह दंगल में लड़को का सामना कर पाए.

कई महीनों तक यह सिलसिला चलता ही रहता हैं और आखिरकार महावीर को अपनी लड़की के रूप में एक ऐसा पहलवान मिलता हैं जो किसी को भी चित्त कर दे.महावीर की ये लड़कियां चैंपियन बन जाती हैं और अपने बाप और देश का नाम भी रोशन करती हैं. कहानी में कई जगहों पर उतार-चढाव भी आते हैं जहाँ बाप-बेटी आपस में ही भिड़ते हुए नजर आएँगे. लेकिन फिल्म को एक सही डायरेक्शन देते हुए यह भी देखने को मिला कि यह एक हैप्पी एंडिंग के साथ ही खत्म होती हैं. बाप-बेटी के बीच कई मनमुटाव होते हैं जो अंत में सही हो जाते हैं. सटीकता जानने के लिए आपको फिल्म देखना चाहिए.

निर्देशन और अभिनय : फिल्म का निर्देशन नितेश तिवारी ने किया है जो कि इससे पहले निल बटे सन्नाटा जैसी फिल्म का निर्माण कर चुके है. और इस फिल्म में भी उनका सटीक निर्देशन नजर आता है. वही अभिनय की बात करे तो आमिर खान एक बार फिर बेमिशाल अभिनय करते हुए नजर आये है. उन्होंने महावीर फोगाट के किरदार को जी लिया है. वही फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा गीता और बबिता के किरदार में बेहतरीन लगी है.

क्यों देखे और क्यों न देखे : अगर आप बायोपिक देखने के शौकीन नहीं है तो यह आपके लिए फिल्म नहीं है. हां अगर अच्छा अभिनय और बेहतरीन निर्देशन देखना चाहते है और बड़े समय से किसी अच्छी फिल्म को देखने का इंतजार कर रहे है तो यह फिल्म आपके लिए है.

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