रील लीडर से बनीं रीयल लीडर, जनता के दिलों पर अम्मा ने किया राज
रील लीडर से बनीं रीयल लीडर, जनता के दिलों पर अम्मा ने किया राज
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फिल्मों से भारतीय और भारत के विभिन्न भागों में क्षेत्रीय राजनीति में शामिल होने वाले चेहरे कई होते हैं कुछ चेहरे अपने स्टारडम के चलते राजनीति में आ तो जाते हें लेकिन वे यहां आकर जायज़ मुकाम नहीं बना पाते और कुछ होते हैं जिन्हें फिल्मों से अधिक उनके राजनीतिक जीवन के लिए जाना जाता है।

भारत की राजनीति में ऐसे कई राजनेता हैं मगर बेहद लोकप्रिय और जननायक नेता के तौर पर जाने जाने वाले नेताओं में इनमें से कुछ ही यह मुकाम बना पाए हैं इसका यह अर्थ नहीं है कि राजनीति में लोगों के प्रेरणा स्त्रोत बने ये नेता बेहतर नहीं कर रहे हैं लेकिन जो राजनीति के शिखर पर पहुंच गए हैं और जिनसे ही पार्टी का दम है या यूं कहें कि लोगों की हर सांस उनके जीवन से जुड़ी है ऐसे नेता कम ही हैं।

इन नेताओं में से एक हैं क्षेत्रीय फिल्मों से राजनीति में पहुंची तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता। हालांकि वे फिल्मों में जाना नहीं चाहती थीं लेकिन उनकी किस्मत ने उन्हें फिल्मों की ओर धकेला और फिर 140 फिल्में करने के ही साथ उनकी किस्मत ने करवट ली और वे राजनीति के पोर्च पर खड़ी हो गईं। यहां से तमाम उतार चढ़ाव के बीच वे उस सिंहासन पर पहुंच गई जहां पर पहुंचना किसी के लिए भी आसान नहीं था।

मुख्यमंत्री का पद तो उन्होंने संभाला ही लेकिन उससे भी बढ़कर उन्हें लोगों ने अपनी पलकों पर बैठाया। जो कार्य जयललिता ने किए उन्हें आज भी लोगों द्वारा याद किया जाता है। भारतीय राजनीति में उन्हें भले ही भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं। उन्होंने तमिलनाडु की जनता के लिए कई अच्छे कार्य किए। 1948 में मैसूर में मांडया जिले के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई जयललिता के सिर से पिता का साया जल्दी ही उठ गया।

उनकी माता वेदवल्ली ने तमिल फिल्मों में काम किया। बाद में जयललिता ने भी फिल्मों का रास्ता अपनाया। मगर कई फिल्में करने के बाद उन्हें एमजी रामचंद्रन राजनीति में लाए। 1982 से अन्नाद्रमुक में जयललिता द्वारा की गई शुरूआत पार्टी के लिए बेहतर साबित हुई और एमजी रामचंद्रन के 1988 में निधन हो जाने के बाद अन्नाद्रमुक के बंटने के बाद जयललिता ने राजनीति में संघर्ष किया और नए मोड़ के लिए तैयार हुईं।

इसके बाद वे 1991 में जीत गईं। इसके बाद उन्होंने राजनीति में मुड़कर नहीं देखा और वर्ष 2002 में और 2011 में भी विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की। कांग्रेस के साथ राष्ट्रीय राजनीति में उन्होंने राज्य की संसदीय सीटों के लिए अपनी पार्टी का अच्छा प्रभाव जमाया।

राज्य में उन्होंने लोगों के विकास के लिए कई कार्य किए जिसमें अम्मा कैंटिंन, बच्चियों के जन्म को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने अम्मा बेबी किट योजना की शुरूआत की थी। जिसमें उन्होंने नवजात के जन्म लेने के बाद उसे साबुन, शैंपू, नेल क्लिपर, सेनिटाईज़र आदि 16 सामग्री की किट उपलब्ध करवाने की योजना बनाई। जिससे प्रसूताओं को सुविधा हुई।

उन्होंने अम्मा साॅल्ट तैयार करने की योजना पर कार्य कर अन्य राज्यों में इसके विक्रय की नीति पर काम किया। इससे राज्य को बाहरी राजस्व की प्राप्ति के लिए प्रयास किए गए। महंगी दर पर सीमेंट मिलने की परेशानी से लोगों को निजात दिलवाने के लिए उन्होंने अम्मा सीमेंट की योजना पर कार्य किया। इस दौरान उन्होंने लोगों को 190 रूपए प्रति कट्टे की दर पर सीमेंट लोगों को उपलब्ध करवाने की योजना बनाई। उनकी कई योजनाऐं लोगों के लिए महत्वपूर्ण थी। उनके बेहतर कार्य के लिए लोग उन्हें अम्मा कहा करते थे।

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