साधनाओं में सरल है यंत्र की साधना
साधनाओं में सरल है यंत्र की साधना
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यंत्र घर में लाते है लेकिन उन्हें सिद्ध करना भी जरूरी है। सिद्ध करने के ही परिप्रेक्ष्य को यंत्र साधना माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में यंत्र साधना जहां सरल मानी जाती है वहीं यह भी माना जाता है कि सिद्ध करते ही यंत्र अपना कार्य करने लगते है और संबंधित जातक भी हर कार्य में सफल होते है।

दो प्रकार से बनते है यंत्र

यंत्र यूं तो बाजार में भी उपलब्ध है, लेकिन साधना के माध्यम से यंत्रों को अंक और मंत्र द्वारा बनाये जाते है। यंत्र साधना में अधिकांशत: अंकों से संबंधित यंत्र अधिक प्रचलित हैं। श्रीयंत्र, घंटाकर्ण यंत्र आदि अनेक यंत्र ऐसे भी हैं जिनकी रचना में मंत्रों का भी प्रयोग होता है और ये बनाने में अति क्लिष्ट होते हैं। इस साधना के अंतर्गत कागज अथवा भोजपत्र या धातु पत्र पर विशिष्ट स्याही से या किसी अन्यान्य साधनों के द्वारा आकृति, चित्र या संख्याएं बनाई जाती हैं। इस आकृति की पूजा की जाती है अथवा एक निश्चित संख्या तक उसे बार-बार बनाया जाता है। इन्हें बनाने के लिए विशिष्ट विधि, मुहूर्त और अतिरिक्त दक्षता की आवश्यकता होती है।

यंत्र रखे लेकिन दीवारों पर न टांगे

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