चोट को कभी हलके में न लीजिये
चोट को कभी हलके में न लीजिये
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अक्सर हमें चोट लग जाती है जिसके बाद हम उसे एंटीसेप्टिक से साफ़ करके कोई बेंडेड या फिर पट्टी बाँध कर निश्चिन्त हो जाते हैं. लोहे या किसी धातु से लगने वाली चोट के बाद टिटनेस का इंजेक्शन लगवाना जरुरी होता है.

जब भी इंसान को कोई घाव, चोट या खरोच लगती है विशेषकर जंग लगी कीलों, लोहे के टुकड़ों, जलने या त्वचा के फटने से तब यह बैक्टीरिया चोट या घाव के संपर्क में जल्दी आते है और घाव पर एक जहर पैदा करते है जो शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है. इससे टेटनस होता है. टिटनेस एक जानलेवा रोग है इसलिए इसमें कोताही नहीं बरतनी चाहिए.

न्यूरोटोक्सिन मस्तिष्क से रीढ़ की हड्डी को भेजे जाने वाले तंत्रिका संकेतों को ब्लॉक करता है तथा उसके बाद मांसपेशियों को ब्लॉक करता है. यह टिटनेस से जुड़ी मांसपेशियों में ऐंठन एवं मांसपेशियों की जकड़न का कारण बनता है. जबड़ों में जकड़न, मांसपेशियों में ऐंठन व जकड़न, जो कि 24 से 72 घंटों से अधिक समय तक गर्दन से जबड़ों एवं अंगों में फ़ैल सकती है. अगर चोट या खरोच लोह या किसी जंग लगी चीज से लगी है तो टेटनस का टीका जरुर लगवाये. बच्चो को टेटनस के टीका जरुर लगवाये. जन्म के शुरुआती 2 वर्षो से लेकर 10 वर्षो तक चार बार प्राथमिक टीकाकरण किया जाता है.

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