प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। हालांकि, हनुमान जयंती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है क्योंकि बजरंगबली आज भी पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। मान्यता है कि आज भी वह हम सभी के आस-पास मौजूद हैं तथा हर समस्या से हमें बचाते हैं। वहीं इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव का पर्व 23 अप्रैल को मनाया जाएगा। हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर प्रत्येक वर्ष इस दिन बजरंगबली की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिरों में कई शुभ मांगलिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं तथा लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की कामना करते हैं. अगर आप हनुमान जन्मोत्सव के दिन मंदिर जाकर हनुमान जी की पूजा करने नहीं जा पा रहे हैं. तो घर बैठे आप कुछ नियमों का पालन करके पूजा कर सकते हैं.
हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त:-
बजरंगबली जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल को प्रातः 9 बजकर 3 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. ब्रह्म मुहूर्त 23 अप्रैल को प्रातः 4 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. हनुमान जन्मोत्सव के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
हनुमान पूजा विधि:-
हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर जो लोग व्रत रख रहे हैं उन्हें पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा. इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभु श्रीराम, माता सीता व हनुमानजी का स्मरण करें तथा व्रत का संकल्प लें. घर में पूजा के स्थान पर बजरंगबली जी की प्रतिमा स्थापित करें तथा विधिपूर्वक पूजा करें. बजरंगबली जी को शुद्ध जल से स्नान करवाएं. फिर सिंदूर और चांदी का वर्क के साथ अबीर, गुलाल, चंदन और चावल चढ़ाएं, तत्पश्चात, सुगंधित फूल और फूलों की माला चढ़ाएं, एवं नारियल चढ़ाएं. फिर केवड़ा या अन्य सुगंधित इत्र लगाएं. हनुमान जी मूर्ति के वक्ष स्थल यानी हृदय वाले स्थान पर चंदन से श्रीराम लिखें. इसी प्रकार श्रद्धापूर्वक जो भी चढ़ाना चाहते हैं वो बजरंगबली जी को चढ़ाएं. हनुमान जी की पूजा के पश्चात् चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें. नहीं कर पाएं तो श्रीराम नाम का ही जप कर लें. अंत में हनुमान जी को नैवेद्य लगाकर आरती करें और लोगों को प्रसाद वितरित करें.
हनुमान जी का मूल मंत्र:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
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आखिर क्यों साल में दो बार क्यों मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव?