युवाओं के स्कील डेवलपमेंट से ही बजेगा भारत का डंका
युवाओं के स्कील डेवलपमेंट से ही बजेगा भारत का डंका
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कहा जाता है कि बच्चों की मुस्कान तो राष्ट्र की शान, युवाओं में हो जान तो वह राष्ट्र की पहचान। जी हां, कुछ ऐसा ही नज़ारा इन दिनों भारत के संदर्भ में नज़र  आ रहा है। अब समूचा विश्व भारत की ओर टकटकी लगाए देख रहा है। विश्व में इन दिनों हर ओर भारत का डंका बज रहा है। आखिर इसका कारण क्या है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विश्व स्तर पर भारत की इमेज ब्रांडिंग की जा रही है यह तो भारत की छवि बदलने का एक कारण है ही लेकिन इसके अलावा सबसे बड़ा कारण भारत का विश्व के लिए एक बड़ा बाजार और एक महत्वपूर्ण युवा शक्ति संपन्न राष्ट्र होना है। विश्व में जितनी युवा शक्ति भारत के पास है उतनी और कहीं किसी देश में नज़र नहीं आती। अब तो चीन को भी अपने बाजार को बढ़ाने और उसमें उत्पादकता लाने के लिए भारत के युवा सृजनकार्ताओं के हाथों की जरूरत है। तभी तो प्रधानमंत्री की चीन यात्रा के दौरान चीन भारत की ओर झुकता नज़र आया। 

मगर युवा ऊर्जा से भरपूर होने का अर्थ यह नहीं है कि वह देश के लिए बेहतर है। इन युवाओं को कुशल होना जरूरी है। कहा जाता है कि कार्य तो सभी करते हैं लेकिन कुछ लोग कार्य को कुशलता के साथ पूरा करते हैं। ऐसे में कौशल उन्नयन की बात चल निकली है। क्या आपने कभी विचार किया है कि अब देश को किसी मैनेजमेंट स्नातक से अधिक किसी प्लंबर, वेल्डर और फिटर की आवश्यकता अधिक महसूस होती है। ऐसा क्यों होता है कि एमबीए, एमसीए, बीएससी आईटी जैसे रोजगारपरक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के बाद भी युवाओं को बेहतर काम नहीं मिल पाता। इसका कारण है कि सभी पाठ्यक्रम की भेड़चाल में चलते जाते हैं और एक बड़ी भीड़ एकत्रित हो जाती है लेकिन किसी के पास भी प्रबंधन का वास्तविक कौशल नहीं होता। किसी भी आईटी स्नातक के पास वह कौशल नहीं होता जो टीसीएस जैसी बड़ी कंपनी की क्वेरी हल कर सके और उसे वह दे सके जो उसे बाजार के लिए चाहिए। ऐसे में इन पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने के बाद भी युवा हताश रहते हैं। 

जबकि एक कुशल स्नातक यदि बेहतर प्रबंधन जानता है तो वह उस कंपनी के लिए अधिक मूल्यवान हो जाता है। यूं तो अंतर्राष्ट्रीय युवा कौशल दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा 15 जुलाई को श्रीलंका के संदर्भ में मनाया जाना तय किया गया है लेकिन यूएन ने इसे ग्लोबल इश्यू के तौर पर देखने की अपील भी की है। अब ऐसे में भारत के युवा कौशल को लेकर बात होना लाजिमी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कौशलय उन्नयन पर ध्यान देने की अपील की है। उनका मानना है कि वर्तमान में बदलते परिदृश्य में युवा कौशल की बहुत आवश्यकता है। किसी भी काम को पूरी तरह से सफलता के साथ करने के लिए युवाओं का कुशल होना जरूरी है। 
 

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