पानी भरने से किया मना तो आदिवासी महिला ने खोद डाला कुआं
पानी भरने से किया मना तो आदिवासी महिला ने खोद डाला कुआं
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बुंदेलखण्ड : दरअसल यह बुंदेलखंड के एक गाँव की एक ऐसी स्वाभिमानी आदिवासी महिला के साहस की मिसाल है, जिसने सूखाग्रस्त क्षेत्र में खुद कुआं खोदकर 40 परिवारों के लिए पानी का स्थाई इंतजाम कर लिया. एक खबर के मुताबिक़ दुद्धी गांव की कस्तूरी नामक इस महिला को गांव के ऊँची जाति के लोग हैण्ड पम्प से पानी नहीं निकालने देते थे. इस कारण एक मटका पानी के लिए उसे दिन भर मशक्कत करनी पड़ती थी. पहाड़ों से गिरते पानी के एकमात्र स्रोत से बून्द-बून्द पानी इकट्ठा करने में दिन भर लग जाता था. इससे परेशान होकर उसने कुंआ खोदने की ठानी.

पानी की तलाश में कस्तूरी ने कई जगह खुदाई कई लेकिन सफलता नहीं मिली. इसी साल जनवरी में कस्तूरी ने एक जगह अपने बेटे और बहु के साथ खुदाई शुरू कई तो उसके इस नेक काम को देखकर देखते ही देखते 40 परिवार के लोग कुआं खोदने के काम में जुट गए. 25 फ़ीट खोदने पर भी सफलता नहीं मिली लेकिन निराश नहीं हुए. एक हफ्ते बाद कुँए को फिर गहरा किया तो इनकी मेहनत रंग लाई और कुँए में पानी निकल आया.सबकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि अब पानी का स्थाई इंतजाम हो गया था.

कस्तूरी ने बताया कि पानी की समस्या से त्रस्त होकर जंगल में झोपडी बनाकर रहने को भी तैयार हो गई थी लेकिन बच्चे तैयार नहीं हुए थे. सब सोचते थे मैं संतुलन खो चुकी हूँ, लेकिन अब खुश हूँ की पानी की समस्या खत्म हो गई. सहरिया जाति के लिए कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अमित सोनी ने कहा पहाड़ों से गिरते पानी से गुजारा चलाना स्थाई इंतजाम नहीं था. एक मटका पानी इकट्ठा करने में दिनभर लग जाता था.

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