जब G20 डिनर में जाना ही नहीं था, तो 'झूठ' क्यों बोलना ? सीएम गहलोत और भूपेश बघेल के अजीब दावे
जब G20 डिनर में जाना ही नहीं था, तो 'झूठ' क्यों बोलना ? सीएम गहलोत और भूपेश बघेल के अजीब दावे
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नई दिल्ली: G20 डिनर के निमंत्रण पत्र पर इंडिया की जगह 'भारत' क्यों लिखा ? मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण क्यों नहीं दिया ? क्योंकि खड़गे दलित हैं इसलिए ? ये दलितों का अपमान है, हम भी डिनर में नहीं जाएंगे.......। और अब..., हमारे प्लेन को दिल्ली में उतरने की अनुमति ही नहीं दी गई। दिल्ली को तो 'नो फ्लाई जोन' बना दिया है, उतरें कैसे ? 

ये तमाम बयान बीते कुछ दिनों से भारत की सबसे पुरानी पार्टी और देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली 'कांग्रेस' के नेताओं द्वारा दिए जा रहे हैं। वो भी ऐसे समय में जब दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष G20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने भारत आए हुए हैं और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की नज़रें भी भारत में हो रही हर गतिविधि पर टिकी हुई है। जिस समय भारत में विपक्षी नेताओं द्वारा G20 डिनर पर इस तरह के बयान दिए जा रहे थे, उस समय भारत की अध्यक्षता में G-20 अब तक के इतिहास का सबसे सफल सम्मेलन साबित हुआ। 

भारत की अध्यक्षता में हुए G20 सम्मेलन में इस बार 73 परिणाम (line of Efforts) और 39 संलग्न दस्तावेज़ (अध्यक्षता दस्तावेज़, कार्य समूह के परिणाम दस्तावेज़ शामिल नहीं) शामिल हैं। इस प्रकार भारत की अध्यक्षता में कुल 112 परिणामों और प्रेसीडेंसी दस्तावेज़ों यानी दोगुना मूल कार्य हुआ है। इससे पहले इंडोनेशिया में हुए G20 सम्मेलन में कुल 50 परिणामों और प्रेसीडेंसी दस्तावेज़ों का कार्य हुआ था, उससे पहले इटली में 65, सऊदी अरब में 30, जापान, अर्जेंटीना, जर्मनी में क्रमशः 29, 33, 22 परिणामों और प्रेसीडेंसी दस्तावेज़ों का कार्य हुआ था। साथ ही रूस-यूक्रेन के बीच विभाजित दुनिया को भारत, एकसाथ लाने में कामयाब हुआ है। भारत की अध्यक्षता में जारी G-20 शिखर सम्मेलन के घोषणा पत्र पर सभी देश सहमत हो गए। चीन के 'बेल्ट रोड इनिशिएटिव' (BRI) को करारा जवाब देने के लिए भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूरोप, UAE ने मिलकर एक ऐसा इंफ़्रास्ट्रक्चर विकसित करने का प्लान बनाया है, जिससे अमेरिका और खाड़ी देशों के साथ ही यूरोप तक में भारत का डंका बजेगा और भारत वैश्विक कारोबार का एक नया और बड़ा केंद्र बन कर दुनिया में स्थापित होगा। इसमें भारत से लेकर यूरोप, सऊदी अरब तक रेल-शिपिंग कॉरिडोर बनाया जाएगा। साथ ही परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन के सतत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत,  ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका, प्रमुख जैव ईंधन उत्पादक और उपभोक्ता, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के लिए भी राजी हो गए हैं। 

लेकिन, भारत के इन बढ़ते कदमों और उनमे मिलती सफलताओं के बीच भी राजनीति अपना काम करती रही। अब आते हैं राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर। 

हमें उतरने की अनुमति नहीं दी गई:- CM गहलोत 

सीएम गहलोत ने दावा किया कि उन्हें दिल्ली में लैंडिंग की अनुमति नहीं दी गई। वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अलग ही दलील दी, उन्होंने कहा कि हम G-20 के डिनर में कैसे जा सकते हैं, जब केंद्र सरकार ने दिल्ली को तो नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया है। हालाँकि, गौर करें कि, बंगाल से सीएम ममता बनर्जी दिल्ली पहुँच गईं, झारखंड से सीएम हेमंत सोरेन आ गए, बिहार से सीएम नितीश कुमार G20 डिनर में पहुंचे, हिमाचल से कांग्रेस के ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी शामिल हुए। लेकिन, सिर्फ अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को ही अनुमति और नो फ्लाइंग जोन वाली समस्या हुई। 

दरअसल, कल (शनिवार) तक तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में गहलोत, बघेल और कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के हवाले से ये दावा किया जा रहा था कि, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को डिनर में निमंत्रण नहीं दिया गया है, जिससे वे नाराज़ हैं और इसलिए वे भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित रात्रिभोज में नहीं जाएंगे। खड़गे को लेकर, यहाँ तक कहा गया कि, वे दलित हैं, इसलिए सरकार ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया है। विदेश यात्रा पर गए राहुल गांधी ने भी वहां से खड़गे को न बुलाए जाने को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जबकि, डिनर का आयोजन कर रहीं महामहिम द्रौपदी मुर्मू खुद आदिवासी समुदाय से आती हैं, हेमंत सोरेन भी उसी समुदाय से हैं। यहाँ तक कि, पीएम मोदी ने सीएम सोरेन और सीएम नितीश कुमार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मिलवाया, जिसकी तस्वीरें आज वायरल हो रहीं हैं फिर ये जातिगत भेदभाव का आरोप क्यों ? क्या इससे समाज में गलत सन्देश नहीं जाएगा ? एक तरफ, जहाँ G20 की थीम ही वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है) रखी गई है, जिसकी दुनियाभर में तारीफ हो रही है, वहीं कुछ राजनेता जातिवाद भड़काने वाले बयान दे रहे हैं   

 

हालाँकि, गृह मंत्रालय ने गहलोत और बघेल के दावों का जवाब दिया और ट्वीट किया है कि, ''एक समाचार रिपोर्ट में, राजस्थान के मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय द्वारा उनके हेलीकॉप्टर उड़ान के लिए मंजूरी देने से इनकार करने का दावा किया है। सीकर सहित उड़ान अनुमति के लिए सीएम राजस्थान से चार अनुरोध प्राप्त हुए थे, और सभी को गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृत किया गया था।' गृह मंत्रालय ने आगे लिखा कि, ''सीएम राजस्थान के किसी भी अनुरोध को अस्वीकार नहीं किया गया है। जबकि वाणिज्यिक विमानों की सभी निर्धारित उड़ानों और राज्यपालों और राज्य के मुख्यमंत्रियों को अपने राज्य के विमानों पर आवाजाही की अनुमति है, निजी चार्टर्ड उड़ानों को गृह मंत्रालय से विशिष्ट अनुमोदन की आवश्यकता होती है।'' 

इससे स्पष्ट है कि, सीएम गहलोत को अनुमति न मिलने वाली बात ही झूठ है। वहीं, अगर सीएम बघेल की मानें कि 'नो फ्लाइंग जोन' होने के  कारण वे नहीं आ पाए, तो फिर नितीश, ममता और खुद उनकी पार्टी के सीएम सुक्खू कैसे पहुंचे ? यानी उनके दावे में भी दम नहीं। सत्य ये है कि, खड़गे को न बुलाए जाने से नाराज़ होकर गहलोत, बघेल और सिद्धारमैया ने पहले ही G20 डिनर में जाने से इंकार कर दिया था और अब वे न आने के लिए भी सरकार को ही कोस रहे हैं। वो भी ऐसे समय में जब इंटरनेशनल मीडिया की नज़रें भारत पर गड़ी हुईं हैं। 

मल्लिकार्जुन खड़गे को क्यों नहीं दिया आमंत्रण :-

G20 डिनर में सभी कैबिनेट और राज्य मंत्रियों और सभी मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। इसमें केवल मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है, किसी भी राजनेता को नहीं। यही वजह है कि, अतिथि सूची में खड़गे का नाम नहीं है। क्या जेपी नड्डा, लालू यादव, मायावती, अखिलेश यादव को निमंत्रण दिया गया ? नहीं। क्योंकि, वे भले ही अपनी-अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन फ़िलहाल किसी राज्य के मुख्यमंत्री या फिर केंद्र सरकार में मंत्री नहीं हैं। यदि होते, तो बिलकुल आमंत्रित किए जाते। लेकिन, कांग्रेस फिर भी सरकार पर निशाना साध रही है और आरोप लगा रही है कि, खड़गे दलित समुदाय से आते हैं, इसलिए उन्हें नहीं बुलाया गया है। 

आपको याद होगा कि, पिछले महीने, जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा था, उस समय 15 अगस्त के समारोह में खड़गे को निमंत्रण दिया गया था, लेकिन वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में नहीं आए थे और उनकी खाली कुर्सी पर मीडिया में काफी चर्चा हुई थी। हालाँकि, जब लाल किले में स्वतंत्रता दिवस का उत्सव चल रहा था, उसी समय खड़गे कांग्रेस दफ्तर में राजनितिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। 

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