गैर-बसमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर सरकार ने क्यों लगाया प्रतिबंध ?
गैर-बसमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर सरकार ने क्यों लगाया प्रतिबंध ?
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नई दिल्ली: बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयास में, भारत ने इस वस्तु की निर्यात नीति में संशोधन करके गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि चावल की खुदरा कीमतों में एक साल में 11.5 फीसदी और पिछले महीने में 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में किफायती कीमतों पर आवश्यक वस्तु की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गैर बासमती सफेद चावल की निर्यात नीति में संशोधन किया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से देश में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम करने में मदद मिलेगी। मंत्रालय ने बताया है कि, “कीमत कम करने के साथ-साथ घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 08.09.2022 को गैर-बासमती सफेद चावल पर 20% का निर्यात शुल्क लगाया गया था। हालाँकि, 20% निर्यात शुल्क लगाने के बाद भी इस किस्म का निर्यात 33.66 LMT (सितंबर-मार्च 2021-22) से बढ़कर 42.12 LMT (सितंबर-मार्च 2022-23) हो गया। मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-जून) में, चावल की इस किस्म का लगभग 15.54 LMT निर्यात किया गया था, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-जून) के दौरान सिर्फ 11.55 LMT निर्यात किया गया था, यानी पिछले साल की तुलना में इस साल 35% की वृद्धि दर्ज की गई है।

मंत्रालय ने बताया कि हालाँकि, सरकार ने गैर बासमती चावल (उबला हुआ चावल) और बासमती चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। इससे किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार से अच्छी खासी कमाई जारी रख सकेंगे। बता दें कि, धान को छिलका सहित आंशिक रूप से उबालने के बाद उसे सुखाकर जो चावल निकाला जाता है, उसे उबला चावल कहते हैं। इसके लिये, धान को पहले पानी में कुछ देर के लिए भिगोकर रखा जाता है, फिर उसे उबाला जाता है और अन्ततः सुखा लिया जाता है। इस प्रक्रिया को अपनाने से ढेंका या हाथ से भी चावल निकालने में आसानी होती है।

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