कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू-कोमाराम भीम? जिनकी कहानी पर बनाई गई RRR?
कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू-कोमाराम भीम? जिनकी कहानी पर बनाई गई RRR?
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जाने माने मशहूर डायरेक्टर एस।एस।राजामौली की फिल्म RRR का ट्रेलर लॉन्च हो गया है। कुछ ही मिनटों का ट्रेलर देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि फिल्म कितनी शानदार होने वाली है। राजामौली की ये मूवी देशभक्ति की स्टोरी से भरपूर है, जिसमें आपको मित्रता एवं धोखा भी देखने को मिलेगा। RRR के ट्रेलर में हमने जबरदस्त एक्शन्स एवं डायलॉग देख लिये हैं, जिसकी जितनी प्रशंसा करो कम है। चलिये अब जानते हैं उन रियल लाइफ हीरोज के बारे में जिनसे मोटिवेट होकर राजामौली ने 400 करोड़ रुपये की मूवी बना डाली। 

दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के मशहूर अभिनेता राम चरण एवं जूनियर एनटीआर फिल्म के लीड स्टार हैं। एक तरफ जहां राम चरण फिल्म में स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू के किरदार में हैं। वहीं जूनियर एन।टी।आर कोमाराम भीम की भूमिका निभाते नजर आएँगे। रिपोर्ट्स के अनुसार, अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 1857 में विशाखापट्टनम में हुआ था। जिंदगी की मोहमाया से ऊपर उठकर वो 18 वर्ष की आयु में साधु बन गये। कम आयु में उन्होंने मुंबई, बड़ोदरा, बनारस, ऋषिकेश, बंगाल तथा नेपाल तक की यात्रा कर डाली। इस के चलते देश के युवाओं पर महात्मा गांधी की विचारधारा से प्रेरित थे। अल्लूरी सीताराम राजू पर महात्मा गांधी के विचारों का प्रभाव हुआ। 

1920 के आस-पास अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासी व्यक्तियों को शराब छोड़ कर अपनी समस्याओं को पंचायत में हल करने की सलाह दी। कुछ समय पश्चात् उन्होंने गांधी जी के विचारों को छोड़ अंग्रेज़ों के खिलाफ संग्राम छेड़ दिया तथा अपना तीर-कमान लेकर अंग्रेजों का पतन करने निकल पड़े। कहा जाता हैं कि देश के लिये लड़ते हुए उन्होंने अंग्रेजों के कई दुःख सहे, मगर उनके सामने सिर नहीं झुकाया। 1924 में वो समय भी आया जब उन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। 1924 में अंग्रेजी जवानों ने क्रांतिकारी अल्लूरी को पेड़ से बांध कर उन पर गोलियों से हमला कर दिया था। इस प्रकार अल्लूरी सीताराम राजू ने अपनी जान देश के नाम कर दी तथा वो शहीद हो गये। 

कोमाराम भीम की कहानी?
कोमाराम भीम का जन्म 1900 में संकेपल्ली, आदिलाबाद में हुआ था। कोमाराम भीम गोंड समाज से संबंध रखते थे। कोमाराम भीम की जिंदगी का मकसद भी देश के लिये कुछ कर गुजरना था। इसलिये उन्होंने हैदराबाद की स्वतंत्रता के लिये आसफ जाही राजवंश के खिलाफ विद्रोह की आग लगाई तथा काफी वक़्त तक संघर्ष किया। राजवंश के खिलाफ लड़ते हुए उन्होंने अपनी जिंदगी का बहुत वक़्त वन में रह कर भी गुजारा था। देश के इन्हीं दोनों क्रांतिकारियों के जीवन की कहानी राजामौली बड़े पर्दे पर दिखाने जा रहे हैं, जिसके लिये हमें 7 जनवरी तक की प्रतीक्षा करना होगी।

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