“धांधली के धुरंदर धूर्त”
“धांधली के धुरंदर धूर्त”
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बात खाने-पिने की हो या जीने-मरने की हो, इस जमाने में लोगों के अपने-अपने अंदाज़-ए-बयां है, अपने-अपने स्वादानुसार आदाब-ए-अर्ज़ है | इस कथन से कोई ताल्लुकात नहीं कि समस्त मानव सभ्यताएं जीने के लिए खाना खाते है या खाने के लिए है, लेकिन कोई बद-शक्सियत अगर खाने-पिने के साथ या उसकी गुणवत्ता के साथ छेड़खानी करे तो फिर समझ लो उसकी खैर नहीं | और ऐसी हरकत और हिमाकत कोई “एरा-गेरा नत्थू खेरा” करे तो इतना फर्क नहीं पड़ता, मगर कोई नामी-गिरामी और पहुंचा हुआ आदमजात करे तो बात हजम नहीं होती | और दुनिया में ऐसे धूर्त मंसूबों को अंजाम देने वालों की तादात बहुतायत में है, जो मन-मस्तिष्क से ही नहीं वरन शक्ल से भी कमीने और सम्पूर्ण मानवजाति के लिए विषैले है |

सम्पूर्ण विश्व में एसी घिनोनी वारदातों को आज से नहीं बल्कि सेकड़ों वर्षों से बेख़ौफ़ अंजाम दिया जा रहा है, हाल ही में अपनी खाद्य उत्पादक खामियों के कारण सुर्ख़ियों में आई ऐसे धूर्त काम को अंजाम देने वाली, स्वित्ज़रलैंड की विश्वप्रसिद्ध कंपनी “नेस्ले” जिसकी स्थापना सन 1866 में की गई थी और आज विश्व में चार हजार विभिन्न प्रकार के प्रोडक्टिव ब्रांड्स के साथ मार्केट में $ 1.12 बिलियन वार्षिक रेवेन्यूज़ हासिल कर रही है | नेस्ले कंपनी अपने उपभोक्ताओं को लेकर इतनी चीप और खुदगर्ज कैसे हो सकती है ? कंपनी की माली हालत इतनी बुरी तो नहीं कि “नंगा नहायेगा क्या और निचोड़ेगा क्या” जो ऐसी धांधली अपने ही बहुमूल्य प्रोडक्ट्स के साथ कर रही है | 

नेस्ले के प्रोडक्ट ‘’मेग्गी नूडल्स “ की जांच करने पर उसमे विभिन्न केमिकल जैसे मोनो सोडियम, ग्लूटामेट और लेड आदि की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई जो की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, वहीँ नेस्ले के दुसरे प्रोडक्ट “मिल्क पाउडर” में जीवित बैक्टीरियल कीड़े पाए गए है | अब प्रश्न यह उठाता है कि नेस्ले के बाकि 3998 ब्रांड प्रोडक्ट्स का क्या होगा कालिया ? देश के कोने-कोने में आज इन प्रोडक्ट्स को लेकर जांचे शुरू हो गई है जो कि एक सकारात्मक कदम है और कुछ राज्य सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में इन प्रोडक्ट्स पर अस्थाई पाबंदी लगा दी है |

ऐसी ही दूसरी कंपनी है “कोका-कोला कंपनी” जिसके सॉफ्ट ड्रिंक प्रोडक्ट्स भी किसी जहर से कम नहीं है | भारत में ही नहीं वरन विश्व के कई देशों जैसे कोलंबिया, ग्वाटेमाला, टर्की, चाइना, मेक्सिको, और साल्वेडोर में समय-समय पर इस कंपनी के खिलाफ वहां की जनता, कंपनी वर्कर्स और पत्रकारों आदि ने कदम उठाये परन्तु कुछ को सफलता मिली तो कुछ जान-माल और नौकरी से हाथ धो बैठे | कोका कोला के जितने भी प्रोडक्ट्स है वे इस कहावत पर खरे उतरते है कि “मुख में राम और बगल में छुरी” और आज की युवा पीढ़ी तो इन प्रोडक्ट्स की दीवानी बनी बैठी है | दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में भी इन प्रोडक्ट्स का काफी विरोध हुआ, परन्तु “हाथी के सामने चिंटी की क्या औकात” | यहाँ समझने वाली बात यह है कि ऐसी धूर्त कंपनियों का विश्व स्तर पर विरोध होने के बावजूद जनता बस भेड़ चाल चल रही है | जनता को लेकर यह कहना बिलकुल गलत ना होगा कि “जागो ग्राहक जागो” मत सच्चाई से भागो |

जब बात इन धूर्त कंपनियों की आती है तो इनके विज्ञापन और प्रमोशन में भला फ़िल्मी नायक-नायिकाओं और जाने-माने क्रिकेटरों को कैसे भूल सकते है जो कहते है कि ठंडा मतलब –कोका कोला, ये दिल मांगे मोर, सारे फसाद की जड़ तो यहीं से शुरू होती है | इन फ़िल्मी सेलिब्रिटीज अमिताभ बच्चन, आमिर खान, शाहरुख़ खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, प्रीटी जिंटा, काजोल, रानी मुखर्जी, रणवीर कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन, हृतिक रोशन, माधुरी दीक्षित और क्रिकेट प्लेयर्स धोनी, सचिन, विराट कोहली, युवराज जैसी महान आत्माओं के तो लाखों दीवाने है | और इन लोगों की लाइफस्टाइल तो जनता भेड़ चाल की तरह फॉलो करती है | क्या इन महान आत्माओं को नहीं पता कि ये प्रोडक्ट्स हेल्थ के लिए हानिकारक है ? फिर क्यूँ कहते है “यही है राईट चॉइस बेबी” क्या धन में मन लगाना ही इनका मुलभूत टार्गेट है ?

अगर हम पूर्ण-रूपेण ये मान ले कि जनता भोली-भाली है इसलिए भावनाओं में बहकर गुमराह हो जाती है, तो फिर यह देश की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा आर्गेनाईजेशन “फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया” मने “FSSAI” के ललाट पर सबसे बड़े प्रश्न का विषय है | जिसकी स्थापना का उद्देश्य ही मानव उपभोग के लिए पौष्टिक खाद्य निर्माण, भण्डारण, वितरण, बिक्री, आयात और मानक निर्धारित करना है | क्या यह आर्गेनाईजेशन ऐसी कंपनियों के प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता की जांच हर साल नहीं करता या कई सालों में एक बार करता है ? और जब दुसरे देशों में इन कंपनियों की धूर्तता सालों पहले सामने आ चुकी है तो फिर हम समय पर क्यूँ नहीं जागते या FSSAI हर महीने हर एक प्रोडक्ट्स की जांच क्यूँ नहीं करता ? बाज़ार में ऐसी कई कंपनियां और प्रोडक्ट्स है जो काला-बाजारी और धूर्त धांधलियों में लिप्त है, अब खाद्य विभाग को जागरूक होकर इन कंपनियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरुरत है, वरना उपभोताओं की यूँही टांय-टांय फ़ीस होती रहेगी और ये धूर्त कंपनियां मजे लेती रहेगी |

अरुण "अज्ञात" पंचोली

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