बिहार साध: किस गढ़ में सेंध लगाने की हो रही तैयारी!
बिहार साध: किस गढ़ में सेंध लगाने की हो रही तैयारी!
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केंद्र सरकार ने अपना बिहार प्रेम दिखाया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नहीं तीन - तीन विकासीय परियोजनाओं की हरी झंडी लेकर बिहारवासियों के पास पहुंचे, विधानसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन की हार हो जाने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के विकास के लिए घोषणाओं का पिटारा खोल दिया। हाजीपुर में रेलवे पुल का शुभारंभ हो या फिर उच्च न्यायालय में समारोह हर बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहारवासियों का दिल जीत लिया। आखिर ऐसा क्या था पीएम मोदी जी के मन में।

क्या प्रधानमंत्री पीएम मोदी बनकर बिहारवासियों से मिलने पहुंचे थे या फिर वे भाजपा के प्रचार विभाग के जीएम बनकर बिहारवासियों से मिले। भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के माध्यम से चुनावी समीकरण फिट करने में काफी सफल रही है। बिहार चुनाव में भाजपा का ऊंट कुछ अलग करवट बैठ गया यह एक अलग बात है लेकिन बिहार में भी प्रारंभिक दौर के मतदान के दौरान मोदी लहर से विरोधी पस्त थे। ऐसे में कहीं मोदी बिहार पर निशाना साधकर असम के चुनाव में असमगण परिषद और भाजपा के लिए कोई संभावना तो नहीं तलाश रहे।

इस तरह के विकासीय प्रोजेक्ट का हवाला देकर मोदी ममतादीदी के किले में सेंध लगाने का प्रयोजन तो नहीं कर रहे या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वास्तव में बिहार से किए गए कुछ वायदे पूरे करने ही आए थे। यहां पर विकास की बयार लाकर उन्होंने बिहारवासियों के मन में कुछ नई उम्मीदें जगाई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा था कि सरकार तत्कालीक लाभ के स्थान पर दीर्घकालिक लाभ पर ध्यान दे रही है।

कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में भाजपा और इसके सहयोगी दलों को भविष्य में मजबूत करने का आधार तो नहीं रख रहे हैं। हालांकि पीएम के मन में क्या है वह तो मन की बात से ही जाहिर हो पाएगा। मगर सरकार ने राज्य द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को पूरा नहीं किया है। यही नहीं केंद्र द्वारा जिस विशेष पैकेज की घोषणा की गई उसकी मद भी राज्य के पाले में नहीं पहुंचाई गई है, राज्य के मंत्री कई बार इस बात का रोना रोते रहते हैं लेकिन केंद्र सरकार के कान पर जूं भी नहीं रेंगती है।

ऐसे में केंद्र द्वारा इस तरह की घोषणाओं को लेकर कुछ संशय बना रहता है। आखिर मोदी जी के इस नए मंत्र से क्या आशय लगाया जाए। दूसरी ओर बिहार में कानून व्यवस्था और अधोसंरचना बदहाल है। ई - रिक्शा चलाने के जमाने में राज्य के मुख्यमंत्री घोड़े की सवारी से संदेश दे रहे हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को एक नया अवसर मिल गया है इस राज्य में खुद को मजबूत करने का। हालांकि अभी पार्टी के लिए काफी समय है। मगर बिहार में रेल कारखाने और तीन इंफ्रा परियोजनाओं को गति देकर मोदी ने महागठबंधन के मतभेदों से उपजी दरार को बढ़ाने का कार्य किया है। 

'लव गडकरी'

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