राखी के बाद शुरू हुए त्योहारों में अब बारी आती है गजानंद की, जो अब कुछ ही घंटो बाद हर घर में विराजमान होंगे, जिन्हे 10 दिनों तक पुरे रीती रिवाजो के साथ घर में बैठाया जाएगा, और हर दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. गणेश चतुर्थी का यह पावन पर्व 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलेगा.
गजानंद के स्वागत के लिए एक विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, इस पूजा में सबसे महत्वपूर्ण चावल (अक्षत) होता है. जैसे ही बप्पा को घर में लाया जाता है, वैसे ही उन पर हल्दी कुमकुम और चावल डालकर उनकी स्थापना की जाती है. बता दे कि हल्दी, कुमकुम और चावल को मिक्स करके ही उनपर छिड़काव किया जाए, बप्पा की स्थापना करते वक़्त विशेषकर आप पांच तरह की चीजें का ध्यान रखे- आप 11 या 21 पान के पत्ते ले, अक्षत, रोली या गुलाल, बुक्का (काले रंग का पाउडर होता है) और नारियल के साथ एक कलश रखे. इसके अलावा 10 दिनों तक दीया जलाएं, ताकि बप्पा के चारों तरफ अंधेरा न हो.
जिस तरफ आप बप्पा को बिठाए उस तरफ कुछ चावल या अनाज रखे. साथ ही सुपारी हल्दी भी रखे, और एक प्लेट में मोदक रखे, कहा जाता है कि बप्पा को मोदक काफी प्रिय है, इसीलिए ज़्यादातर भक्त गुड़ के मोदक बप्पा को अवश्य चढ़ाते है.
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