भोपाल : व्यापम घोटाले ने मध्यप्रदेश सरकार की सियासत को सवालो के घेरे में खड़ा कर दिया है. देश की मीडिया में भी ये मामला जोरो से गरमाया हुआ है. पहले पत्रकार अक्षय सिंह की संदिग्ध मौत और उसके बाद अनामिका कुशवाह जो प्रशिक्षु एसआई थी ने तालाब में कूद कर मौत को आत्मसात कर लिया अब ऐसा ही एक मामला ओरछा में सामने आया है जहा थाने में पदस्थ आरक्षक रमाकांत शर्मा ने रविवार रात अपने सरकारी आवास में फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला का अंत कर दिया.
आरक्षक रमाकांत बेतवा नदी किनारे बनाई गई पर्यटन चौकी में पदस्थ थे. सोमवार को थाना परिसर के पीछे बने सरकारी क्वार्टर में रमाकांत का शव पंखे से लटका हुआ मिला. रमांकांत ने अंदर से दरवाजा बंद कर रखा था. आरक्षक की पत्नी और बच्चे अपने गांव उन्नाव जिला दतिया में थे.
मौत के अंतिम क्षण
अपनी जीवन के अंतिम क्षणों में रमाकांत घर पर अकेला था. सोमवार सुबह जब उसकी बेटी ने रमाकांत के मोबाइल पर फोन लगाया तो बार-बार फ़ोन करने पर भी वह कोई जवाब नहीं दे रहा था. इसके बाद उसने ओरछा थाना प्रभारी दिलीप सिंह यादव को फोन लगाया और जानकारी दी कि पापा फोन का जवाब नहीं दे रहे है. इसके बाद थाना प्रभारी सैनिकों के साथ रमाकांत के घर पहुंचे और दरवाजे खुलवाए. अधिकारियों ने यहां रमाकांत का शव पंखे से लटका पाया. थाना प्रभारी ने उसी समय इसकी सूचना परिजनों के साथ ही एसपी निमिष अग्रवाल को दी. आरक्षक शर्मा की मौत की खबर लगते ही निवाड़ी एसडीएम अतेन्द्र सिंह गुर्जर, एसडीओपी केआर सिजौरिया, तहसीलदार एसडी प्रजापति मौके पर पहुंचे.
15 दिन पहले घर चिराग से हुआ था रोशन
आरक्षक रमाकांत शर्मा के घर 15 दिन पहले पुत्र का जन्म हुआ था. इसलिए उनकी पत्नी और बच्चे उनके पैतृक घर उन्नाव में थे. पुलिस ने घटना स्थल को सील कर दिया है. आत्महत्या के कारणों की जांच के लिए चौकी में पदस्थ अन्य आरक्षकों से सवाल जवाब किये जा रहे है.
एसपी ने कहा रमाकांत का व्यापम से कोई नाता नहीं
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सोमवार शाम 4.30 बजे एसपी निमिष अग्रवाल ने जानकारी दी कि आरक्षक शराबी पीने की लत थी. पिछले 24 घंटे से वह अपने कार्यस्थल से गायब था. थाना स्टॉफ को लगा वह अपने घर चला गया होगा, लेकिन जब सोमवार को उसकी बेटी का फोन आया तो थाना स्टाफ उसके क्वाटर पंहुचा जहां उसका शव पंखे पर लटका मिला.
व्यापमं मामले में आरक्षक से की गई पूछताछ के सवाल पर एसपी ने जवाब दिया कि व्यापमं मामले से आरक्षक का कोई समबन्ध नहीं है लेकिन आरक्षक व्यापम घोटाले की जाँच पड़ताल कर रहा था. वह 2000 बैच में दाखिल हुआ था.व्यापम घोटाला अब खुनी घोटाले में तब्दील हो गया. इससे सम्बन्ध रखने वालो लोगो की सिलसिलेवार मौत होना प्रशाशन को कठघरे में खड़ा करता है. यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह सियासत और प्रशाशन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देगा और सियासत को यह भारी पड सकता है. फिलहाल रामकांत की मौत के कारणों की जांच की जा रही है.